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________________ व्यक्तित्व और कृतित्व को 'बुद्धि' कहते हैं । गृहीत विषय में उठने वाले तर्कों और विकल्पों के समाधान करने की शक्ति को 'प्रतिभा' कहा जाता है। विपय के विस्तार करने की शक्ति को 'मेधा' कहा जाता है । विषय को सुचारुरूप से अभिव्यक्त करने की कला को 'कल्पना' कहते हैं । गृहीत विषय को समय पर उपस्थित करने की शक्ति को स्मृति कहते हैं । उक्त तत्वों के विना अध्ययन गम्भीर, विराट और स्थायी नहीं बनता । ८८ अध्ययन के वहिरंग साधन हैं—प्रध्यापक, शिक्षण-पद्धति, पुस्तकें और सहपाठी साथी | शिक्षण में सब से बड़ा और सव से पहला मुख्य कारण है - योग्य ग्रव्यापक | योग्य अध्यापक के हाथ में ही छात्र के जीवन निर्माण का दायित्व रहता है। शिक्षण-पद्धति पर भी जीवन विकास निर्भर रहता है । पुस्तकें तो शिक्षण का ग्रावश्यक अंग हैं ही। सहपाठी साथी से भी बहुत कुछ सहयोग मिलता रहता है । कवि जी की शिक्षा का प्रारम्भ थोकड़ों से हुआ । पच्चीस वोल, नव-तत्त्व, छव्वीस द्वार, लघुदण्डक, कर्मप्रकृति आदि तीन सौ छोटे-बड़े थोड़े कवि जी ने अपने वचपन में याद किए थे । भगवती सूत्र, प्रज्ञापना सूत्र और जीवाभिगम सूत्र के थोकड़ों को कण्ठस्थ याद करना साधारण वात नहीं, बहुत बड़ी बात है। तीव्र मेघा और तीव्र स्मृति के विना यह सब कुछ नहीं किया जा सकता । श्रम और स्वाध्याय चल जिसके पास नहीं है, वह इस प्रकार की ज्ञान- राशि कथमपि धारण नहीं कर सकता । दशवैकालिकसूत्र, उत्तराध्ययनसूत्र, नन्दीसूत्र और सूत्र - कृतांग सूत्र का पूर्व श्रुतस्कन्ध - ये सूत्र भी कवि जी के मुखाग्र थे । इसके अतिरिक्त बहुत-से स्तोत्र भी याद किए थे । भक्तामर कल्याणमंन्दिर, अन्ययोगव्यवच्छेदिका आदि संस्कृत एवं प्राकृत के छोटे-मोटे पचासों स्तोत्र उन्होंने याद किए थे । उनमें से बहुत से ग्राज भी उन्हें याद हैं, प्रतिदिन वे उनका पाठ करते हैं । कवि जी का यह प्राथमिक अध्ययन है, जो धर्म की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है । अध्ययन का दूसरा चरण है-संस्कृतभाषा और संस्कृत साहित्य का अध्ययन | कवि जी का संस्कृत अध्ययन महेन्द्र गढ़, नारनौल और सिंघाणा (खेतड़ी स्टेट) में हुया है । मेथिली पण्डित
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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