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________________ ८६ व्यक्तित्व और कृतित्व अहिंसा के विषय में कवि जी के विचार मननीय हैं। वे कहते हैं___ "अहिंसा साधना-शरीर का हृदय भाग है। वह यदि जीवित है, तो साधना जीवित है, अन्यथा मृत है।" कवि जी की अहिंसा निष्क्रिय नहीं, किन्तु सक्रिय है । वे कहते हैं___ "तलवार मनुष्य के शरीर को झुका सकती है, मन को नहीं। मन को झुकाना हो, तो प्रेम के शस्त्र का प्रयोग करो। प्रेम में अपार वल है।" ___कवि जी अहिंसा को जीवन के धरातल पर साकार देखना चाहते हैं। जीवन के विषय में कवि जी का क्या दृष्टिकोण है ? वे कहते हैं "जीवन का अर्थ, केवल साँस लेना भर नहीं है। जीवन का अर्थ है दूसरों को अपने अस्तित्व का अनुभव कराना। यह अनुभव कंकर-पत्थरों के ढेर खड़े करके अथवा शोषण करके नहीं कराया जा सकता। इसका उपाय है हम दूसरों के लिए साँस लेना सीख लें। अपने लिए तो साँस लेते हैं, परन्तु जीवित वह है, जो दूसरों ने लिए साँस लेता है। यदि तुम किसी को हँसा नहीं सकते, तो किसी को रुलायो भी मत ।" कवि जी जीवन को क्रियाशील देखना चाहते हैं, निष्कय नहीं। जीवन को तेजस्वी बनाने के लिए वे एक सूत्र देते हैं "जो आन लो, उस पर अड़े रहना ही तुम्हारी शान है। यही जीवन का तत्त्व है।" ___ जीवन का ध्येय बताते हुए कवि जी चिरन्तन सत्य को प्रस्तुत करते हुए कहते हैं "जीवन का ध्येय-त्याग है, भोग नहीं । श्रेय है, प्रेय नहीं। वैराग्य है, विलास नहीं । प्रेम है, प्रहार नहीं।" मनुष्य की पवित्रता में कवि जी को पूर्ण विश्वास है। वे कहते हैं
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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