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________________ १२२ व्यक्तित्व और कृतित्व कुछ अपनी ओर से : ___ इस प्रकार हम देखते हैं कि अमर मुनि एक सफल कवि हैं, किन्तु यदि उनके साहित्य की रामस्त सामग्री का अध्ययन किया जाए, तो कहना पड़ेगा कि वे एक सफल महासाहित्यकार हैं। उनके साहित्य में गीत, गद्य, कहानी, निवन्ध आदि सब कुछ हैं, किन्तु इसके साथ-साथ कवि श्री जी की प्रवचन-कला की जितनी सराहना की जाए-थोड़ी है। उनके प्रवचनों से जिस शान्ति का आभान होता है वह अद्वितीर है। एक सफल साहित्यकार म प्रायः यह प्रतिभा कम ही मिलती है। प्रवचन-कला के क्षेत्र में वे एक विद्वान होने के नाते श्रोताओं के दय पर एक अमिट छाप लगाते हैं। कवि श्री अमरचन्द्र जी महाराज एक जैन मुनि हैं, समाज तथा जन-जीवन के प्रपंचों से दूर धर्म साधना में लीन रहते हैं। उन्होंने अकेले काव्य-क्षेत्र में ही कितने ही ग्रन्यों की रचना की है, जो भापा, अलंकार, कला आदि सभी दृष्टियों से अति सुन्दर बन पड़े हैं। इनमें भी 'सत्य हरिश्चन्द्र' तथा 'धर्मवीर सुदर्शन' नामक ग्रन्थ तो अतुलनीय हैं । यदि प्रयास किया जाए तो आधुनिक युग के तीन महाकाव्यों- 'साकेत', 'कामायनी' तथा 'प्रियप्रवास' के साथ इन दोनों ग्रन्थों को भी महाकाव्य का रूप प्रदान किया जा सकता है। इनमें महाकाव्य के सभी गुण विद्यमान हैं। सर्ग-वद्धता भी है। साहित्यिवता तो पग-पग पर टपकती है। किन्तु एक जैन मुनि इन पचड़ों में नहीं पड़ता है। अतः कवि श्री जी भी इतने उत्तम काव्य-ग्रन्थों की रचना करके चुप ही रहे हैं । किन्तु फिर भी मैं कहूँगा कि कोई भी साहित्य-प्रिय व्यक्ति यदि इन महाग्रन्थों का पालोचक की दृष्टि से अध्ययन करे, तो इन दोनों ग्रन्यों 'को महाकाव्य की श्रेणी में ही स्थान देगा। और साथ ही कवि जी के अन्य ग्रन्थ भी अध्ययन-मनन योग्य हैं। इनके अध्ययन से आत्मा को ग्रानन्द की अनुभूति होती है। उस परमानन्द की, जो अन्यत्र किसी काव्य में दुर्लभ है। ये काव्य-ग्रन्थ वड़ी ही सुन्दर भापा तथा शैली में लिखे हुए हैं। मुनि श्री अमरचन्द्र जी महाराज साहित्य-क्षेत्र की उस चौमुखी प्रतिभा से विभूपित हैं, जिसमें एक ओर से उनकी काव्य-साधना, दूसरी अोर से उनके निवन्ध-संग्रह, तीसरी ओर से उनकी कहानी-कला तथा चौथी ओर से उनकी प्रवचन-कला ग्रा-आकर अपने आपको कविवर के
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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