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________________ ___सर्वतोमुखी व्यक्तित्व पाया भी खूब है, तो उस संचित ज्ञान को वाँटा भी खूब है। उन्होंने - अपने जीवन में अध्ययन भी. खूव किया है, तो अध्यापन भी खूब कराया है। कवि जी का सम्पूर्ण जीवन ज्ञानमय है। ज्ञान की साधना ही उनकी अमर साधना है, जो युग-युग तक प्रकाश देती रहेगी। . व्यक्तित्व का आकर्षण : . . . . कवि श्री जी के व्यक्तित्व में चुम्बक जैसा आकर्षण है, बिजली जैसी कौंध है और मेघ जैसी गर्जना । जो भी एक वार परिचय में - पाया, वह सदा के लिए उनका अनुरागी बन गया। उनके अनूठे और अद्भुत व्यक्तित्व के सम्बध में सुरेश मुनि जी का एक शब्दात्मक भावचित्र देखिए-:. ... ... .. . । - "कवि श्री जी के जीवन में ऐसी सौम्यता और निश्छलता है, जो उनके प्रति स्नेह एवं आदर दोनों ही उत्पन्न करती है। उनके मुखमंडल पर एक अलौकिक आभा का प्रकाश खेलता रहता है, उनकी आँखों में जो बालोचित मुस्कान रहती है, वह कभी भुलाई नहीं जा सकती। और इनके पीछे से होकर सरलता तथा. सच्चाई उनके स्पन्दनशील हृदय का परिचय देती है। हृदय और मस्तिष्क का सत्तलन जितना उनमें दृष्टिगत होता है, उतना दूसरों में नहीं। वे इतने ख्यातनामा एवं प्रतिष्ठित सन्त हैं, पर मिथ्याभिमान उन्हें छू तक नहीं गया है। मात्सर्य का उनमें नितान्त अभाव है। उनके निकट बैठना मात्र ही एक प्रकार की सांस्कृतिक दीक्षा लेने के सदृश है। . उनका व्यक्तित्व इतना निश्छल, इतना मधुर तथा इतना आकर्षणशील है कि वह बलात् हमें बहुत कुछ सीखने के लिए अनुप्रेरित करता है। वस्तुतः प्रतिभा, भोज और गाम्भीर्य उनमें मूर्त हो उठे हैं। उनकी बुद्धि में जन्मजात प्रतिभा का प्रकाश है। उनकी वाणी तथा लेखनी में प्रोज है। उनकी प्रकृति में माधुर्य और गम्भीरता है। उनके स्वभाव में, उनके व्यवहार में, उनके रहन-सहन, बोल-चाल-सब कुछ में एक मधुर सौन्दर्य का आभास मिलता है । जिधर से भी वे निकल जाते हैं, उनका उज्ज्वल व्यक्तित्व जनगण-मन पर अपनी अमिट छाप छोडता चला जाता है। जिस दिशा में भी वे बढ़ते चलते हैं, सफलता उनके चरण चूमती है। उनकी सफलता का रहस्य यदि दो शब्दों में बतलाया जा
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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