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________________ प्रतिक्रमण सूत्र । ३. अभयकुमार-श्रेणिक का पुत्र तथा मन्त्री । इस ने पिता के अनेक कार्यों में भारी सहायता पहुँचाई । यह अपनी बुद्धि के लिये प्रसिद्ध है। ४. ढगढणकुमार-कृष्ण वासुदेव की ढगडणारानी को पुत्र। इस ने अपने प्रभाव से प्राहार लेने का अभिप्राह (नियम) लिया था परन्तु किसी समय पिता की महिमा से पाहार पाया माजूम करके उसे परठवते समय केवलशान प्रात किया । ___५. श्रीयक-स्थूलभद्र का छोटा भाई और नन्द का मन्त्री। यह उपवास में काल-धर्म कर के स्वर्ग में गया । आव०नि० गा० १२८, तथा पृ० ६६३-६४ । ६. अनिकापुत्र-इस ने पुष्पचूला साध्वी को केवल ज्ञान पाकर भी वैयावृत्य करते जान कर 'पिच्छा मि दुक्कड' दिया। तथ. किसी समय गङ्गा नदी में नौका में से लोगों के द्वारा गिराये जाने पर भी क्षमा-भाव रख कर केवलज्ञान प्राप्त किया। इसी निमित्त से 'प्रगग-तीर्थ' की उत्पति हुई कही जाती है। प्रा०नि० गा० ११८३ तथा पृ०६६८.६५ । ____७. अतिमुक्त मुनि- इस ने आठ वर्ष की छोटी उम्र में दीक्षा ली और बाल-स्वभाव के कारण तालाब में पात्री तैराई। फिर 'इरियावहियं' करक केवलज्ञान प्राप्त किया। अन्तकृत् वर्ग ६-अध्य० १५ । ८. नागदत्त-दो हुए । इन में से एक अदत्तादानव्रत में अतिदृढ तथा काउसग्ग-बल में प्रसिद्ध था और इसी से इस ने राजा के द्वारा शूली पर चढ़ाये जाने पर शूली को सिंहासन के रूप में बदल दिया। दूसरा नागदत्त--श्रेष्ठि-पुत्र हो कर भी सर्प कीडा रे कुशल था। इस को पूर्व जन्म के मित्र एक देव ने प्रतिबोधा, तब इस ने जातिस्मरणशान पा कर संयम धारण किया।
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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