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________________ mr m फुल्लद्वल्लीमतल्ली 280 2 148 2141 4 24 462 3125 270 4-2 ब्रह्मत्त्वमापादन ब्रह्मव सगवद ब्रह्मापदशे बद्धास्था ये शरीरेषु ब वोऽय दश्यसदभावाद बाल्याक्रीटमतिक्रम्य बाल्ये गते वुध्द्वापि शुद्धया बीज जगत्सु बीज धमद्रुमस्य बोवकनिष्ठता 284 221 3 25 3 144 385 2-132 464 mro. mr mor 0 237 2136 प्रकृतिव्रतती प्रत्यह प्रत्यवेक्षेत प्रत्यक्षमानमुत्सज्य प्रतिबिम्बधनाज्ञान प्रतिक्षणविपर्यास प्रदीपहेतिष्विव प्रलीनारोहसतान प्रवत्तिरेव प्रसह्य सद्यो प्राक्तन पुरुपायों प्राक्तनाद्यतने प्रागकारणमेवाशु प्राप्तमेतत पद प्राज्ञश्चेतनमात्रत्त्व प्राज्ञा कृतज्ञा प्रियामुभि पठन द्विजो पदकरोत्यलध्येऽपि परमाकप्रकाशात परमे ब्रह्मणि स्फारे परिष्कृतानेगराग परोपकारकारिण्या पर जगति पर पौरुषमाश्रित्य पर्यायसक्रा त पशुरज्ञो पादपा अपि पुनश्च विनयशीलेन पुनस्तत्र व पुत्र | प्राप्तविवेकोमि पुत्रम्य तादश पुजातधमविधुरोऽपि पूर्णे पूर्ण पूव चेत्यत्त्वकलन पौरुषेण कृत पौरुषेण प्रयत्नेन 4-48 217 465 261 2-128 4 11 330 2131 431 भगठन | अय प्राक्तनो भगवन | कृतात भगवन / किं रूप भगवन | न वेव भगवर भवता भगवन / यदि भगवन यल्लोकेषु भगवन | सच्चेन्नद दश्य भज्यते नावभग्नोऽपि भारो विवेकिन भावि ब्रह्माण्ड भिद्यते हृदयथि भिक्षुको मङ्गले भूमण्डले भूमयो बहिर तश्च भूया भूयोऽपि भेजिरेथ तनुत भो एव किलाख्यायते भोगडिकुराकाक्षी भोगवासनया बध 442 2-110 242 4-107 470 3 43 1-56 1-32 2-126 164 4-25 2-51 156 447 466 3 41 327
SR No.010592
Book TitleDashkanthvadham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurgaprasad Dvivedi
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages166
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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