SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 973
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८९८ सुत्तागमे [णिसीहसुत्तं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ ॥ ८७२ ॥ जे भिक्खू दुन्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकट्ट तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेतं वा साइज्जइ ॥ ८७३ ॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिक? लोद्धेण वा ककेण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वलेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वलेंतं वा साइज्जइ ॥ ८७४ ॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिक? सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ ॥ ८७५ ॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकटु बहुदेवसिएण तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेतं वा साइजइ ॥ ८७६ ॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धत्तिक१ बहु देवसिएण लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वलेन ‘वा उल्लोलेंतं वा उव्वलेतं वा साइजइ ॥ ८७७ ॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे मे पडिग्गहे लद्धेत्तिक? बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ ॥ ८७८ ॥ जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइजइ ॥ ८७९ ॥ जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णि क्खित्ते अणिकंपे चलाचले. पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेतं वा पयावेंतं वा साइज्जइ ॥ ८८० ॥ जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयात वा पयावेंतं वा साइजइ ॥ ८८१ ॥ जे भिक्खू मट्टियाकडाए पुढवीए दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइजइ ॥ ८८२ ॥ जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ ॥ ८८३ ॥ जे भिक्खू चित्तमंताए सिलाए दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते आणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयावेंतं वा पयावेंतं वा साइजइ ॥ ८८४ ॥ जे भिक्खू चित्तमंताए लेलूए दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले. पडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा साइजइ ॥ ८८५ ।। जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओस्से सउदए सउत्तिंगपणगदगमट्टियमकडासंताण(ए)गंसि दुब्बंधे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेतं वा HHHHHHHH
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy