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________________ ८९७ उ०१४ चाउम्मासियमुग्धाइयं] सुत्तागमे चउद्दसमो उद्देसो जे भिक्खू पडिग्गहं किणइ किणावेइ कीयमाड दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥ ८५६ ॥ जे भिक्खू पडिग्गहं पामिच्चेइ पामिचावेइ पामिच्चमाह दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ ॥ ८५७ ॥ जे भिक्खू पडिग्गहं परियटेइ परियट्टावेइ परियट्टियमाहटु दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ ॥ ८५८ ॥ जे भिक्खू पडिग्गहं अ(च्छि)च्छेजं अणिसिटुं अभिहडमाह९ दि[दे]जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ ॥ ८५९ ॥ जे भिक्खू अइरेगपडिग्गहं गणिं उद्दिसिय गणिं समुद्दिसिय तं गणिं अणापुच्छिय अणामंतिय अण्णमण्णस्स वियरइ वियरंतं वा साइजइ ॥ ८६० ॥ जे भिक्खू अइरेगं पडिग्गहं खुड्गस्स वा खुड्डियाए वा थेरगस्स वा थेरियाए वा अहत्थच्छिण्णस्स अपायच्छिण्णस्स अणासाछिण्णस्स अकण्णच्छिण्णस्स अणोद्वैच्छिण्णस्स सत्तस्स देइ देंतं वा साइजइ ॥ ८६१ ॥ जे भिक्खू अइरेगं पडिग्गहं खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा थेरगस्स वा थेरियाए वा हित्थच्छिण्णस्स [आपायच्छिण्णस्स आिणासाछिण्णस्स [अ]कण्णच्छिण्णस्स [अण] @च्छिण्णस्स असक्कस्स न देइ न देंतं वा साइज्जइ ॥ ८६२ ॥ जे भिक्खू पडिग्गहं अणलं अथिरं अधुवं अधारणिजं धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ८६३ ॥ जे भिक्खू पडिग्गहं अलं थिरं धुवं धारणिजं न धरेइ न धरतं वा साइजइ ॥ ८६४ ॥ जे भिक्खू वण्णमंतं पडिग्गहं विवण्णं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ८६५॥जे भिक्खू विवण्णं पडिग्गेहं वण्णमंतं करेइ करेंतं वा साइजइ॥ ८६६ ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकट्ठ तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंतं वा साइजइ ॥ ८६७ ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकड लोण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उच्छोलेज वा उव्वलेज वा उच्छोलेंतं वा उव्वलेंतं वा साइजइ ॥ ८६८ ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकड सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ ॥ ८६९ ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिक? बहु(दि)देवसिएण [वा] तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंतं वा साइजइ ।। ८७० ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिकड बहुदेवसिए(णं)ण लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वलेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वलेंतं वा साइज्जइ ॥ ८७१ ॥ जे भिक्खू णो णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्तिक? बहुदेवसिएण १ सोभाणिमित्तं । ५७ सुत्ता
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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