SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 960
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ० ११ चाउम्मासियमणुग्घाइयं] सुत्तागमे ८८५ अप्पणा भुंजमा० अण्णेसिं वा दलमाणे राइभोयणपडिसेवणपत्ते) जो तं भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ ॥ ६३४ ॥ जे भिक्खू राओ वा वियाले वा सपाणं सभोयणं उग्गालं उग्गिलित्ता पच्चोगिलइ पञ्चोगिलंतं वा साइजइ ॥ ६३५ ॥ जे भिक्खू गिलाणं सोचा ण गवेसइ ण गवसंतं वा साइजइ ॥ ६३६ ॥ जे भिक्खू गिलाणं सोचा. उम्मग्गं वा पडिपहं वा गच्छइ गच्छंतं वा साइजइ ॥ ६३७ ॥ जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अब्भुट्ठियस्स सएण लाभेण असंथरमाणस्स जो तस्स न पडितप्पइ न पडितप्पंतं वा साइज्जइ ॥ ६३८ ॥ जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अब्भुट्ठिए गिलाणपाउग्गे दव्बजाए अलब्भमाणे जो तं न पडियाइक्खइ न पडियाइक्खंतं वा साइज्जइ ॥६३९ ॥ जे भिक्खू पढमपाउसम्मि गामाणुग्गामं दूइज्जइ दूइज्जंतं वा साइज्जइ ॥ ६४० ॥ जे भिक्खू वासावासं पज्जोसवियंसि दूइज्जइ दूइज्जतं वा साइज्जइ ॥ ६४१ ॥ जे भिक्खू अपजोसवणाए पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥ ६४२ ॥ जे भिक्खू पजोसवणाए ण पज्जोसवेइ ण पज्जोसवेंतं वा साइजइ ॥ ६४३ ॥ जे भिक्खू पजोसवणाए गोलोमाइं-पि वा(बा)लाई उवाइणाइ उवाइणंतं वा साइजइ ॥ ६४४ ॥ जे भिक्खू पजोसवणाए इत्तिरियं पा(पि-आ)हारं आहारेइ आहारेंतं वा साइज्जइ ॥ ६४५ ॥ जे भिक्खू गारत्थियं पज्जोसवेई पजोसवेंतं वा साइज्जइ ॥ ६४६ ॥ जे भिक्खू पढमसमोसरणुद्देसे पत्ताई चीवराई पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ । तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं ॥ ६४७ ॥ णिसीहऽज्झयणे दसमो उद्देसो समत्तो ॥ १० ॥ एक्कारसमो उद्देसो जे भिक्खू अयपाथाणि वा तंबपायाणि वा तउयपायाणि वा कंसपायाणि वा रुप्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा जायरूवपायाणि वा मणिपायाणि वा कायपायाणि वा दंतपायाणि वा सिंगपायाणि वा चम्मपायाणि वा चेलपायाणि वा संखपायाणि वा वइरपायाणि वा करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ६४८ ॥ जे भिक्खू अयपायाणि वा तंबपायाणि वा तउयपायाणि वा कंसपायाणि वा रुप्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा जायरूवपायाणि वा मणिपायाणि वा कायपायाणि वा दंतपायाणि वा सिंगपायाणि वा चम्मपायाणि वा चेलपायाणि वा संखपायाणि वा वइरपायाणि वा धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ६४९ ॥ जे भिक्खू अयपायाणि वा तंबपायाणि वा तउयपायाणि वा कंसपायाणि वा रुप्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा जायरूवपायाणि वा मणिपायाणि वा कायपायाणि वा दंतपायाणि वा सिंगपायाणि वा चम्मपायाणि १ पज्जोसवणाए (संवच्छरीए) पडिक्कमणं करावेइ करावेंतं..।
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy