SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 618
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व०२ पलिओवमपरूवणा] सुत्तागमे ५४३ ६, उस्सप्पिणिकाले णं भंते ! कइविहे प० ? गो० ! छव्विहे पण्णत्ते, तं०-दुस्समदुस्समाकाले १ जाव सुसमसुसमाकाले ६ । एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उस्सासद्धा वियाहिया ? गोयमा ! असंखिजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलियत्ति वुच्चइ संखिज्जाओ आवलियाओ ऊसासो संखिजाओ आवलियाओ नीसासो, गाहा-हट्ठस्स अणवगल्लस्स, णिरुवकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चई ॥ १ ॥ सत्त पाणूइं से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे । लवाणं सत्तहत्तराँए, एस मुहुत्तेत्ति आहिए ॥ २॥ तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहि अणंतनाणीहिं ॥ ३ ॥ एएणं मुहुत्तप्पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तो पण्णरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा उऊ तिण्णि उऊ अयणे दो अयणा संवच्छरे पंचसंवच्छरिए जुगे वीसं जुगाई वाससए दस वाससयाइं वाससहस्से सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्से चउरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुवंगे चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साइं से एगे पुत्वे एवं बिगुणं बिगुणं णेयव्वं तुडियंगे २ अडडंगे २ अववंगे २ हूहुयंगे २ उप्पलंगे २ पउमंगे २ णलिणंगे २ अच्छिणिउरंगे २ अउयंगे २ नउयंगे २ पउयंगे २ चूलियंगे २ जाव चउरासीइं सीसपहेलियंगसयसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया एताव ताव गणिए एताव ताव गणियस्स विसए तेण परं ओवमिए ॥ १८ ॥ से किं तं ओवमिए ? २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-पलिओवमे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे ? पलिओवमस्स परूवणं करिस्सामि, परमाणू दुविहे पण्णत्ते, तंजहासहुमे य वावहारिए य, अणंताणं सुहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू णिप्फजइ तत्थ णो सत्यं कमइ-सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भित्तुं च ज ण किर सक्का । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥ १॥ वावहारियपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हियाइ वा सण्हसण्हियाइ वा उड्डरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूयाइ वा जवमज्झेइ वा उस्सेहंगुलेइ वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया अट्ठ सण्हसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालग्गे अट्ठ देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साण वालग्गा से एगे हरिवासरम्मयवासाण मणुस्साणं वालग्गे एवं हेमवयहेरण्णवयाण मणुस्साणं पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साण वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे अट्ठ जवमज्झा से एगे अंगुले एएणं अंगुलप्पमाणेणं
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy