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________________ वेत्ता J. B. S. हॉल्डनने भी माना है, वे कहते हैं कि मेरे विचार जगी कोई आदि नहीं है। ४ जैनधर्म किसीको सृष्टि का कर्ता ही नहीं मानना, मे आजा विधान भी स्वीकार करता है। ५ शब्द-ज्योति-ताप और आतपको आगमने पुल का है जिसे जानने भी मैटर Matter के रूपमें मान लिया है। और मे भी बीकार किया। कि ये सब पुद्गल-द्रव्यके पर्यायविशेष हैं। ६ प्रसिद्ध भूगर्भ-वैज्ञानिक फ्रांसिम अपनी सुप्रसिद्ध एमक 'Toil 114 under earth में लिखते हैं कि मैंने पृथिवीक मे से देय है जिनमें पृथिवीमें जीवत्वशक्ति प्रतीत होती है। अभी तक वे निश्चय पर नहीं पहुँन सके परन्तु आगमोंने तो स्पष्ट कहा है कि पृथ्वीकायमें जीव है। __७ स्थानांग सूत्र ५-२-३ में आता है कि श्री बिना मंयोग भी शुक पहल ग्रहण कर गर्भवती हो सकती है। आधुनिक विज्ञानवनाओंने भी त्रिम गर्भाधान द्वारा इसे सिद्ध कर दिया है। ८ आगम पदार्थकी अनीश्वरना और आत्माकी अजर-अमरता यनान नि सुविख्यात वैज्ञानिक डाल्टन ( Dulton) ने Iaw of I ntim द्वारा सिद्ध कर दिखाया है। परन्तु आत्माकी तह नक विज्ञान अमन नही पहुँच सका। ___९ भगवान महावीरके गर्भस्थानान्तरण को कई लोग असंभव मानते है । प्राणीशास्त्रवेत्ता डॉ. चांग ने बोस्टन विश्वविद्यालयकी जैव रसायनशालामें गर्भस्थानांतरण-परीक्षणों द्वारा सिद्ध किया है। अमेरिकन हिरनीक गर्भबीमको एक अंग्रेजी हिरनीके गर्भाशयमें स्थानान्तरित करनेमें उन्हें सफलता भी मिली है। १० आगम कहते हैं कि द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा न कोई दय्य घटना न बढ़ता है जो रूपान्तर होता है वह उसका पर्याय है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कोई पुद्गल ( Matter ) नष्ट नहीं होता, केवल दूसरे रूप ( Form) में बदल जाता है। वे लोग इसे Principle of Conservution of Mass and Energy कहते हैं। ११ आगम मानते हैं कि पानीकी एक बूंदमें असंख्य जीव होते है । बजानिकोंने भी सूक्ष्मवीक्षण यंत्र द्वारा पानीकी एक बूंदमें ३६००० से भी अधिक जीव देखे हैं और यह भी मानते हैं कि बहुतसे जीव ऐसे हैं जो सूक्ष्मवीक्षणयंत्र
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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