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________________ .. प०५ आउकाइय० वण्णणं] सुत्तागमे ३५३ सुयनाणपजवेहिं ओहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपज्जवहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपनवेहिं ओहिदसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-'नेरइयाणं नो संखेजा, नो असंखेजा, अणंता पज्जवा पन्नत्ता' ॥ २४८ ॥ असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'असुरकुमाराणं अणंता पजवा पनत्ता' ? 'गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसठ्ठयाए तुल्ले, ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, कालवन्नपजवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं नीलवन्नपज्जवेहिं लोहियवन्नपजवेहि हालिद्दवन्नपज्जवेहिं सुकिल्लवन्नपज्जवेहि, सुब्भिगंधपज्जवहिं दुर्भिगंधपजवेहि, तित्तरसपजवेहिं कड्डयरसपज्जवहिं कसायरसपजवेहिं अंबिलरसपजवेहिं महुररसपजवेहिं, कक्खडफासपज्जवेहिं मउयफासपज्जवेहि गरुयफासपज्जवेहिं लहुयफासपजवेहिं सीयफासपज्जवेहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपज्जवेहिं लुक्खफासपज्जवेहिं आभिणिबोहियनाणपजवेहिं सुयनाणपजवेहिं ओहिनाणपजवेहिं मइअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपज्जवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहिं ओहिदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-'असुरकुमाराणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता' । एवं जहा नेरइया, जहा असुरकुमारा तहा नागकुमारा वि जाव थणियकुमारा ॥ २४९ ॥ पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता' ? गोयमा ! पुढविकाइए पुडविकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए । जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिज्जइभागहीणे वा संखिजइगुणहीणे वा असंखिज्जइगुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिजइभागअब्भहिए वा संखिजगुणअब्भहिए वा असंखिजगुणअब्भहिए वा । ठिईए तिट्ठाणवडिए, सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए। जइ हीणे असंखिज्जभागहीणे वा संख्रिजभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिजगुणअब्भहिए वा । वन्नेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं मइअन्नाणपजवेहिं सुयअन्नाणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए ॥ २५० ॥ आउकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता । से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-'आउकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता' ? गोयमा! आउकाइए आउकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसठ्ठयाए तुल्ले, ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए तिढाणवडिए, वन्न २३ सुत्ता.
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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