SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प० ३ णेरइयउ० २] सुत्तागमे १३९ भाए पुढवीए नरया केरिसया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! काला कालोभासा भीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणया परमकिण्हा वण्णेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरगा केरिसया गंधेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए अहिमडेइ वा गोमडेइ वा मुणगमडेइ वा मज्जारमडेइ वा मणस्समडेइ वा महिसमडेइ वा भूसगमडेइ वा आसमडेइ वा हत्थिमडेइ वा सीहमडेइ बावग्घमडेइ वा विगमडेइ वा दीवियमडेइ वा मयकुहियचिरविणकुणिमवावण्णइभिगंधे असुइविलीणविगयबीभत्थदरिसणिजे 'किमिजालाउलसंसत्ते, भवेयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो अणिटुतरगा चेव अकंततरगा चेव जाव अमणामतरगा चेव गंधेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्प० पु० णरया केरिसया फासेणं पण्णत्ता? गोयमा ! से जहानामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरियापत्तेइ वा सत्तिग्गेइ वा कुंतग्गेइ वा तोमरग्गेइ वा नारायग्गेइ वा सूलग्गेइ वा लउलग्गेइ वा भिंडिमालग्गेइ वा सूइकलावेइ वा कवियच्छूइ वा विंचुयकंटएइ वा इंगालेइ वा जालेइ वा मुम्मुरेइ वा अच्चीइ वा अलाएइ वा सुद्धागणीइ वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो अणिठ्ठतरगा चेव जाव अमणामतरगा चेव फासेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए ॥ ८३ ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरगा केमहालया पण्णत्ता ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे २ सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वन्भंतरए सव्वखुडाए वहे तेल्लापूवसंठाणसंठिए वहे रहचक्कवालसंठाणसंठिए बट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए एक्कं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, देवे णं महिडिए जाव महाणुभागे जाव इणामेव इणामेवत्तिकटु इमं केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियहित्ताणं हव्वमागच्छेजा, से णं देवे ताए उनिहाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्याए उद्भुयाए जयणाए छेयाए दिव्वाए दिव्वगईए वीइवयमाणे २ जहण्णेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्लोसेणं छम्मासेणं वीइवएजा, अत्थेगइए वीइवएजा अत्थेगइए नो वीइवएज्जा, एमहालया णं गोयमा ! इमीसे गं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए, णवरं अहेसत्तमाए अत्थेगइयं नरगं वीइवएजा, अत्थेगइए नरगे नो वीइवएजा ॥ ८४ ॥ इमीसे गं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरगा किंमया पण्णत्ता ? गोयमा ! सव्ववइरामया पण्णत्ता, तत्थ णं नरएसु बहवे जीवा य पोग्गला य अवकमंति विउक्कमति चयंति
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy