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________________ सुत्तागमे [रायपसेणइयं चच्चरचउमुहमहापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणकलकले इ वा जणबोले इ वा जणउम्मी इ वा जणउक्कलिया इ वा जणसंनिवाए इ वा जाव पजुवासइ । तए णं तस्स सारहिस्स तं महाजणसदं च जणकलकलं च सुणेत्ता य पासित्ता य इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-"किं णं अज सावत्थीए नयरीए इन्दमहे इ वा खन्दमहे इ वा रुद्दमहे इ वा मउन्दमहे इ वा नागमहे इ वा भूयमहे इ वा जक्खमहे इ वा रुक्खमहे इ वा गिरिमहे इ वा दरिमहे इ वा अगडमहे इ वा नईमहे इ वा सरमहे इ वा सागरमहे इ वा जं णं इमे बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा खत्तिया नाया कोरव्वा जाव इब्भा इब्भपुत्ता प्रहाया (जहोववाइए जाव) अप्पेगइया हयगया अप्पेगइया गय० पायचारविहारेणं महया २ वन्दावन्दएहिं निग्गच्छन्ति” एवं संपेहेइ २ त्ता कञ्चइज्जपुरिसं सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी-"किं णं देवाणुप्पिया! अज सावत्थीए नयरीए इन्दमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जेणं इमे बहवे उग्गा भोगा' 'निग्गच्छन्ति?"। तए णं से कञ्चुइज्जपुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स आगमणगहियविणिच्छए चित्तं सारहिं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-"नो खलु देवाणुप्पिया ! अज सावत्थीए नयरीए इन्दमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जेणं इमे बहवे जाव विन्दाविन्दएहिं निग्गच्छन्ति । एवं खलु भो देवाणुप्पिया! पासावचिजे केसी नाम कुमारसमणे जाइसंपन्ने जाव दूइजमाणे इहमागए जाव विहरइ तेणं अज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्भपुत्ता अप्पेगइया वन्दणवत्तियाए जाव महया वन्दावन्दएहिं निग्गच्छन्ति” ॥ ४९ ॥ तए णं से चित्ते सारही कञ्चइज्जपुरिसस्स अन्तिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ २ ता एवं वयासी"खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरघण्टं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह" जाव सच्छत्तं उवट्ठवेन्ति । तए णं से चित्ते सारही पहाए सुद्धप्पावेसाई मङ्गलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउरघण्टे आसरहे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चाउग्घण्टं आसरहं दुरुहइ २ त्ता सकोरिण्टमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं महया भडचडग विन्दपरिक्खित्ते सावत्थीनयरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव कोट्ठए उज्जाणे जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता केसिकुमारसमणस्स अदूरसामन्ते तुरए निगिण्हइ २ त्ता रहं ठवेइ २ ता रहाओ पञ्चोरुहइ २ त्ता जेणेव केसी कुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता केसि कुमारसमणं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वन्दइ नसंसइ वं० २ त्ता नच्चासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे पञ्जलिउडे विणएणं पजुवासइ । तए णं से केसी कुमारसमणे चित्तस्स सारहिस्स
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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