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________________ ४८ सुत्तागमे [रायपसेणइयं लक्खारसगे इ वा किमिरागकंबले इ वा चीणपिट्ठरासी इ वा रत्तुप्पले इ वा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरे इ वा रत्तबंधुजीवे इ वा, भवेयारूवे सिया?, णो इणढे समढे, ते णं लोहिया भणी इत्तो इट्टतराए चेव जाव वण्णेणं प० । तत्थ णं जे ते हालिद्दा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते-से जहाणामए चंपए इ वा चंपछल्ली इ वा चंपगभेए इ वा हलिहा इ वा हलिद्दाभेए इ वा हलिद्दगुलिया इ वा हरियालिया इ वा हरियालभेए इ वा हरियालगुलिया इ वा चिउरे इ वा चिउरंगराए इ वा वरकणगे इ वा वरकणगनिघसे इ वा [सुवण्णसिप्पाए इ वा] वरपुरिसवसणे इ वा अल्लईकुसुमे इ वा चंपाकुसुमे इ वा कुहंडियाकुसुमे इ वा तडवडाकुसुमे इ वा घोसेडियाकुसुमे इ वा सुवण्णजूहियाकुसुमे इ वा सुहिरण्णकुसुमे इ वा कोरंटगवरमल्लदामे इ वा बीययकुसुमे इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरे इ वा पीयबंधुजीवे इ वा, भवेयारूवे सिया?, णो इणढे समढे, ते णं हालिद्दा मणी एत्तो इतराए चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ता । तत्थ णं जे ते सुकिल्ला मणी तेसिणं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते । से जहानामए अंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुमुदोदकदगरयदहिघणक्खीरक्खीरपूरे इ वा कोंचावली इ वा हारावली इ वा हंसावली इ वा बलागावली इ वा चंदावली इ वा सारइयबलाहए इ वा धंतधोयरुप्पपट्टे इ वा सालिपिट्ठरासी इ वा कुंदपुप्फरासी इ वा कुमुयरासी इ वा सुक्कच्छिवाडी इ वा पिहुणमिंजिया इ वा भिसे इ वा मुणालिया इ वा गयदंते इ वा लवंगदलए इ वा पोंडरियदलए इ वा सेयासोगे इ वा सेथकणवीरे इ. वा सेयबन्धुजीवे इ वा, भवेयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं सुकिल्ला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वन्नेणं पण्णत्ता । तेसि णं मणीणं इमेयारूवे गंधे पण्णत्ते, से जहानामए कोठपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चोयपुडाण वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदणपुडाण वा उसीरपुडाण वा मरुआपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा ण्हाणमल्लियापुडाण वा केयइपुडाण वा पाडलिपुडाण वा णोमालियापुडाण वा अगुरुपुडाण वा लवंगपुडाण वा वासपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अणुवायंसि वा ओभिजमाणाण वा कुट्टिजमाणाण वा भंजिजमाणाण वा उकिरिजमाणाण वा विकिरिजमाणाण वा परिभुजमाणाण वा परिभाइज्जमाणाण वा भंडाओ भंडं साहरिज्जमाणाण वा ओराला मणुण्णा मणहरा घाणमणनिव्वुइकरा सव्वओ समंता गंधा अभिनिस्सवंति, भवेयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं मणी एत्तो इठुतराए चेव गंधेणं पन्नत्ता । तेसि णं मणीणं इमेयारूवे फासे पण्णत्ते, से जहानामए आइणेइ वा रूए इ वा बूरे
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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