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________________ सुत्तागमे ८५६ [भगवई णं परिमंडलसंठाणा किं सखेजा० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेना० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं (चेव) जाव आयया, जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वहे संठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेजा० पुच्छा, गोयमा! नों संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं पुणरवि एक्लेकेणं संठाणेणं पंचवि चारेयव्वा जहेव हेहिल्या जाव आय(ए)याणं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं कप्पेसुवि जाव इसिप्पन्भाराए पुटवीए ॥ ७२४ ॥ वट्टे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे प० ? गोयमा ! वट्टे संठाणे दुविहे प०,तं०-घणवठे य पयरवट्टे य, तत्य णं जे से पयरवटे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ ण जे से ओयपएसिए पयरवटे से जहन्नेगं पंचपएसिए पंचपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं ने से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं वारसपएसिए वारसपएसोगाढे उकोसेणं अगंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे, तत्थ णं जे से घणवट्टे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं सत्तपएसिए सत्तपएसोगाढे प०, उक्नोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं वत्तीसपएसिए बत्तीसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०॥ तंसे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए कइपएसोगाढे प० ? गोयमा ! तसे णं संठाणे दुविहे प०, तं०-घणतंसे य पयरतंसे य, तत्य णं जे से पयरतंसे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्य णं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे प०, उक्नोसेगं अगंतपएलिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से घणतंसे से दुविहे प०, तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पणतीसपएसिए पणतीसपएसोगाढे प०, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे प०, उनोसेणं अणंतपएसिए तं चेव ॥ चउरंसे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए० पुच्छा, गोयमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे प०, भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्य णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं नवपएसिए नवपएसोगाढे प०, उझोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे प०, तत्य णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे प०, उनोसेणं अगंतपएसिए तं चेव, तत्थ ण जे से घणचउरंसे से दुविहे प०, तंजहा-ओयपएतिए
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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