SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 854
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८०२ सुत्तागमे [भगवई एवं वुच्चइ पुलिं वा जाव उववजेजा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं आहारो भन्नइ सेसं तं चेव। पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुडवीए सक्करप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव, एवं जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो । पुडविकाइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए वालुयप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसिप्पन्भाराए, एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए २ ता जे भविए सोहम्मे कप्पे जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो । पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! पुचि उववजित्ता पच्छा आहारेजा सेसं तं चेव जाव से तेणटेणं जाव णिक्खेवओ। पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए २ त्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एव चेव, एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, एवं सणंकुमारमाहिंदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, एवं वंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं लंतगस्से महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आणयपाणयाणं आरणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं आरणअच्चुयाणं गेवेजविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसिप्पन्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ ६७० ॥ आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववजित्तए सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव से तेणटेणं, एवं पढमादोचाणं अंतरा समोहओ जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो, एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए २ त्ता जाव ईसिप्पन्भाराए उववाएयव्वो आउकाइयत्ताए, आउक्काइए णं भते ! सोहम्मीसाणाणं सगंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहि(२)-वलएसु आउकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं तं चेव एवं एएहिं चेव अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदहिवलएसु
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy