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________________ वि० सुत्तागमे ६५९ चत्तारि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगोवि भाणियव्वो जाव नवगसंजोगो, दसहा कजमाणे एगयओ नव परमाणुपोग्गला एगयओ संखेजयएसिए संधे भवइ अहवा एगयओ अट्ठ परमाणुपोग्गला एगयओ दुपए सिए० एगयओ संखेजंपएसिए खंधे भवइ, एवं एएणं कमेणं एक्केको पूरेयव्वो जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ नव संखेजपए सिया संधा भवंति अहवा दस संखेज एसिया संधा भवंति, संखेज्जहा कजमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवति । असंखेजा णं भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति एगयओ साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि असंखेजहावि कज्जइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए• एगयओ असंखेज्जपएलिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमापोग्गला एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गळे एगयओ दुपएसिए० एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयओ परमापोग्गले एगयओ दसपएसिए एगयओ असंखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ संखेजपए सिए एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए• एगयओं दो असंखेजपएसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहंवा तिन्नि असंखेजपए सिंया खंधा भवंति चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ असंखेज एसिए खंबे भवइ एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो ए (वं) ए जहेव संखेज्जपएसियस्स नवरं असखेज्जयं एवं अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा दस असंखेजपएसिया संधा भवंति, संखेजहा कजमाणे एगयओ संखेजा परमाणु पोग्गला एगयओ असंखेज्जप एसिए संधे भवई अहवा एगयओ संखेज्जा दुपएसिया खंधा एगयओ असंखेज एसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ संखेजा दसपएसिया खंधा एगयओ असंखेजपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ संखेजा संखेजएसिया खंधा एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवइ अहवा संखेज्जा असंखेजपएसिया खंधा भवंति, असंखेजहा कजमाणे असंखेजा परमाणुपोग्गला भवंति । अनंता णं भंते! परमाणुपोग्गला जाव किं भवंति ? गोयमा ! अणतपएसिए खंधे भवइ, से भिज्नमाणे दुहावि तहावि जाव दसहावि संखेजहा असंखेज्जहा अणंतहावि कज्जइ, ० प० स० १२ उ० ४ ] ० "
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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