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________________ वि०प० स० ११ उ० ११] सुत्तागमे ६३५ पन्नत्ते, तंजहा-पमाणकाले १ अहाउनिव्वत्तिकाले २ मरणकाले ३ अद्धाकाले ४, से किं तं पमाणकाले ? २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-दिवसप्पमाणकाले य १ राइप्पमाणकाले य २, चउपोरिसिए' दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ ॥ ४२३ ॥ उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसंस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहन्नियां तिमुहुत्ता दिवसंस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जया णं भंते ! उक्नोसिया अर्द्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं कईभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं कइभागमुहुत्तभागेणं परिवडमाणी २ उक्लोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिंसी भवइ ? सुदंसणा! जया णं उलोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवई तयाणं वावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जया णं जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं वावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिवड्डमाणी परिवड्डमाणी उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । कया णं भंते ! उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ कया वा जहन्निया तिमुहुना दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? सुदंसणा । जया णं उकोसेए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तया णं उकोसिया अपंचममुहत्ता दिवसस्स पोरिसी भवई जहन्निया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवई, जयाणे उक्नोसिया अट्ठारसमुहुत्तिया राई भवइ जहन्निए दुवालसमुहुत्त दिवसे भवइ. तया णं उक्नोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवई जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ । कया णं भंते ! उक्नोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवस भवइ जहन्नियो दुवालसमुहुत्ता राई भवइ कया वा उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ? सुदंसणा! आसाढपुन्निमाए णं उक्लोसेए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 'जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवई, पोसस्स पुन्निमाए ण.उकोसिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ॥ अस्थि ण भते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति ? हंता ! अत्थि, कया णं भंते ! दिवसा य राईओय समा चेव भवन्ति ? सुदंसणा! चित्तासोयपुन्निमासु णं, एत्थ ण दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्तभागूणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवड, सत्त पमाणकाले ॥ ४२४ ॥ से कि तं अहाउनिव्वत्तिकाले ? अहाउनिव्वत्तिकाले जन्नं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणुस्सेण वा देवेण वा अहाउयं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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