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________________ ६१४ सुत्तागमे [भगवई पन्नत्ता, तंजहा-खंधा जाव परमाणुपोग्गला ४, जे अस्वी अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्यिकायस्स देसे धम्मत्यिकायस्स पएसा एव अधम्मत्यिकायस्सवि जाव आगासत्यिकायस्स पएसा अद्धासमए । विदिसामु नत्यि जीवा देसे भंगो य होइ सव्वत्थ । जमा णं भंते ! दिसा किं जीवा० ? जहा इंदा तहेव निरवसेसा, नेरई य जहा अग्गेई, वारुणी जहा इंदा, वायव्वा जहा अग्गेई, सोमा जहा इंदा, ईसाणी जहा अग्गेई, विमलाए जीवा जहा अग्गेई, अजीचा जहा इंदा, एवं तमाएवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ न भन्नइ ॥ ३९३ ॥ कइ णं भंते ! सरीरा पन्नत्ता ? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-ओरालिए जाव कम्मए । ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? एवं ओगाहणसंठाणं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अप्पावहुगंति । सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥ ३९४ ॥ दसमे सए पढमो उद्देसो समत्तो॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीइपंथे ठिचा पुरओ रूवाइं निज्झायमाणस्स मग्गओ रूवाइं अवयक्खमाणस्स पासओ रूवाई अवलोएमाणस्स उई रूवाइं ओलोएमाणस्स अहे रूवाई आलोएमाणस्स तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीइपंथे ठिच्चा जाव तस्स णं णो इरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कजइ, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ संवुडस्स जाव संपराइया किरिया कन्जइ ? गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव से णं उस्सुत्तमेव रीयइ, से तेणढेणं जाव संपराइया किरिया कजइ । संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीइपंथे ठिचा पुरओ रूवाइं निज्झायमाणस्स जाव तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कज्जइ० ? पुच्छा, गोयमा ! संवुड० जाव तस्स गं इरियावहिया किरिया कजइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमे सए पढमोद्देसए जाव से णं अहासुत्तमेव रीयइ से तेणटेणं जाव नो संपराइया किरिया कजइ ॥ ३९५ ॥ कइविहा णं भंते ! जोणी प०? गोयमा ! तिविहा जोणी प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं जोणीपयं निरवसेसं भाणियव्वं ॥ ३९६ ॥ कइविहा णं भंते ! वेयणा प० ? गोयमा । तिविहा वेयणा प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं वेयणापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नेरइया णं भंते ! किं दुक्खं वेयणं वेदेति सुहं वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति? गोयमा! दुक्खंपि वेयणं वेयंति सुहपि वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहंपि वेयणं वेयंति ॥ ३९७ ॥ मासियण्णं भंते । भिक्खुपडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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