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________________ २६० [ठाणे सुत्तागमे पुरिसे अकोसइ वा जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्मं असहमाणस्स अखममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासेमाणस्स किं मन्ने कज्जइ ? एगंतसो मे पावे कम्मे कजइ ममं च णं सम्मं सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स कि भन्ने कज्जइ ? एगंतसो मे निजरा कज्जइ इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे उदिने परिसहोवसरगे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा ॥ ५०८ ॥ पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्ने परिसहोवसग्गे सम्म सहेजा जाव अहियासेज्जा तं० खित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा तहेव जाव अवहरइ वा दित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा जक्खाइठे खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिन्ने भवइ तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्मं सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पासित्ता बहवे अन्ने छउमत्था समणा निग्गंथा उदिन्ने परिसहोवसग्गे एवं सम्म सहिस्संति जाव अहियासिस्संति इच्चएहिं पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्ने परिसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा ।। ५०९ ॥ पंच हेऊ प० तं० हेउं न जाणइ हेउं न पासति हेउं ण वुज्झइ हेउं नाभिगच्छइ हेउमण्णाणमरणं मरइ, पंच हेऊ प० त० हेउणा ण जाणइ जाव हेउणा अण्णाणमरणं मरइ, पंच हेऊ प० तं० हेउं जाणइ जाव हेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंच हेऊ प० तं० हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्यमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ, पंच अहेऊ प० तं० अहेउणा ण जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ ॥५१०॥ केवलिस्ल णं पंच अणुत्तरा प० तं० अणुत्तरे जाणे अणुत्तरे दसणे अणुत्तरे चरित्ते अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिए ॥ ५११ ॥ पउमप्पहे णं अरहा पंच चित्ते होत्था तं० चित्ताहिं चुए चइत्ता गन्भं वकंते चित्ताहि जाए चित्ताहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पन्वइए चित्ताहिं अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने चित्ताहिं परिनिव्वुए। पुप्फदंते णं अरहा पंच मूले होत्था मूलेणं चुए चइत्ता गम्भं वकंते, एवं चेव एएणं अभिलावेणं इमाओ गाहाओ अणुगंतव्वाओ ॥ पउमप्पभस्स चित्ता मूले पुण होइ पुप्फदंतस्स; पुव्वाइं आसाढा सीयलस्सुत्तर विमलस्स भद्दवया (१)- रेवइया अणंतजिणो पूसो धम्मस्स संतिणो भरणी, कुंथुस्स कत्तियाओ अरस्स तह रेवईओ य (२) मुणिसुव्वयस्स सवणों आसिणि नमिणो य नेमिणो चित्ता, पासस्स विसाहाओ पंच य हत्थुत्तरे वीरो (३) सेसं जहा आयारे ॥ ५१२ ॥ पंचमठाणस्ल पढमोद्देसो समत्तो ॥
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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