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________________ .२ उ०२] सुत्तागमे १९१ णवरं से चेवणं से असुरकुमारत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेजा, एवं सव्वदेवा, पुढविकाइया दुगइया दुयागइया प० तं०-पुढविकाइए पुढविकाइएमु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा णो पुढविकाइएहिंतो वा उववजेजा, से चेवणं से पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा णो पुढविकाइयत्ताए वा गच्छेजा, एवं जाव मणुस्सा ॥ ११२ ॥ दुविहा णेरइया प० तं० भवसिद्धिया चैव, अभवसिद्धिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गेरइया प० तं० अणंतरोववन्नगा चेव परंपरोववनगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० गइसमावन्नगा चेच, अगइसमावन्नगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरड्या प० तं० पढमसमयउववन्नगा चेव अपढमसमयउववन्नगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गेरइया प० त० आहारगा चेव अणाहारगा चेव, एवं जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया पन्नत्ता तं०, उस्सासगा चेव नोउस्सासगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गैरइया प० तं० सइंदिया चेव, अणिंदिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा गैरइया प० तं० पज्जत्तगा चेव, अपजनगा चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरड्या प० तं० सन्नी चेव असन्नी चेव, एवं जाव पंचिंदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा, जाव वाणमंतरा। दुविहा गेरइया प० तं० भासगा चेव अभासगा चेव, एवमेगेंदियवज्जा सव्वे, दुविहा णेरइया प० तं० समदिट्ठिया चेव मिच्छदिद्विया चेव, एगिदियवजा सव्वे, दुविहा णेरइया प० तं० परित्तसंसारिया चेव, अणंतसंसारिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहाणेरड्या प० तं० संखेजकालसमयछिइया चेव असंखेजकालसमयछिइया चेव, एवं पंचिंदिया, एगिंदिया विगलिंदियवजा जाव वाणमंतरा, दुविहा णेरड्या प० तं० सुलभवोहिया य दुल्लभबोहिया य जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० कण्हपक्खिया चेव सुक्कपक्खिया चेव, जाव वेमाणिया, दुविहा णेरइया प० तं० चरिमा चेव अचरिमा चेव, जाव वेमाणिया ॥ ११३ ॥ दोहि ठाणेहि आया अह लोग जाणइ पासइ, तं० समोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, असमोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, आधोहि समोहया समोहएणं चेव अप्पाणेणं आया अहे लोगं जाणइ पासइ । एवं तिरियलोग उढलोगं केवलकप्पं लोगं । दोहिं ठाणेहिं आया अहे लोगं जाणइ पासइ, तंजहाविउव्विएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, अविउव्विएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, आहोहि विउव्वियाविउविएणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, एवंतिरियलोग उड्डलोगं केवलकप्पं लोगं ॥ ११४ ॥ दोहिं ठाणेहिं आया सहाई सुणेइ, तंजहा-देसेणवि आया सद्दाइं सुणेइ,
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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