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________________ सुत्तागमे [गणे एवं देवाणं भाणियन्वं, पुढविकाइयाणं दो सरीरगा० अभंतरगे चेव, बाहिरगे चेव, अब्भंतरए कम्मए, बाहिरगे उरालिए, जाव वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियागं दोसरीरगा० अभंतरए चेव बाहिरए चेव, अभंतरए कम्मए, अट्टिमंससोणितबद्धे बाहिरए उरालिए, जाव चउरिंदियागं, पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं दो सरीरगा० असंतरगे चेव, बाहिरगे चेव, अभंतरगे कम्मए, अट्ठिमंससोणियोहारुच्छिरावद्धे, वाहिरए उरालिए, मणुस्साणवि एवं चेव, विग्गहगतिसमावन्नगाणं णेरइयाणं दो सरीरगा० तेयए चेव कम्मए चेव, निरंतरं जाव वेमाणियागं, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं० रागेणं चेव, दोसेणं चेव, जाव वेमाणियाणं, नेरइयागं दुठ्ठाणनिव्वत्तिए सरीरगे० रागनिव्वत्तिए चेव दोसनिव्वत्तिए चेव, जाव वेमाणियाणं ॥ १०८ ॥ दो काया० तसकाए चेव, थावरकाए चेक, तसकाए दुविहे पण्णत्ते० भवसिद्धिए चेव, अभवसिद्धिए चेव, एवं थावरकाए वि ॥ १०९ ॥ दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पइ णिग्गंथाणं वा, णिग्गंधीणं वा, पव्वावित्तए, पाईणं चेव, उदीणं चेव, एवं मुंडावित्तए सिक्खावित्तए, उवठ्ठावित्तए, संभुंजित्तए, संवसित्तए, सज्झायं उद्दिसित्तए, सज्झायं समुद्दिसित्तए, सज्झायमणुजाणित्तए, आलोइत्तए, पडिक्कमित्तए, निदित्तए, गरिहित्तए, विउहित्तए, विसोहित्तए, अकरणयाए अन्भुट्टित्तए, अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवजित्तए, दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पइ णिग्गंथाणं वा णिग्गंथीणं वा, अपच्छिममारणंतिए-संलेहणाझुसणा झुसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवकंखमाणाण विहरित्तए, तंजहा-पाईणं चेव उदीणं चेव ॥ ११० ॥ बीयठाणस्स पढमोद्देलो लमन्तो॥ जे देवा उड्ढोववण्णगा कप्पोववण्णगा, विमाणोववण्णगा, चारोववण्णगा, चारद्विइया, गइरइया, गइसमावण्णगा, तेसिं देवाणं सयासमियं जे पावे कम्म कन्जइ तत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयात नेरइयाणं सयासमियं जे पावे कम्मे कजइ तत्यगयावि एगइया वेयणं वेयात अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति, जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्साण सयासमियं जे पावे कम्मे कजइ, इहगयावि एगइया. वेयणं वेयंति अन्नत्थगयावि एगइया वेयणं वेयंति, मणुस्सवज्जा सेसा एक्कगमा ॥ १११ ॥ नेरइया दुगइया दुयागइया प० तं० नेरइए नेरइएसु उववजमाणे मणुस्सहिंतो वा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उववजेजा, से चेव णं से नेरइए नेरइयत्तं विप्पजहमाण मणुस्सत्ताए वा पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेज्जा, एवं असुरकुमारावि,
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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