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________________ सुत्तागमे [सूयगडं १५४ जावज्जीवाए सव्वाओ पयणपयावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ कुट्टणपिट्टणतज्जणताडणवहबन्धपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए । जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोहिया कम्मन्ता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहि कजन्ति तओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए । से जहानामए केइ पुरिसे कलममसूरतिलमुग्गमासनिप्फावकुलत्थआलिसन्दगपलिमन्थगमादिएहि अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवट्टगलावगकवोयकविक्षलमियमहिसवराहगाहगोहकुम्मसिरिसिवमादिएहिं अयन्ते कूरे मिच्छादण्डं पउञ्जन्ति जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तं जहा-दासे इ वा पेसे इ वा भयए इ वा भाइल्ले इ वा कम्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा तेसिं पि य णं अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गस्यं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा-इमं दण्डेह इमं मुण्डेह इमं तजेह इमं तालेह इमं अदुयबन्धगं करेह इमं नियलवन्धणं करेह इमं हड्डिबन्धणं करेह इमं चारगबन्धणं करेह इमं नियलजुयलसंकोचियमोडियं करेह इमं हत्थच्छिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमं कण्णछिन्नयं करेह इमं नकओट्ठसीसमुहच्छिन्नयं करेह वेयगच्छहियं अगच्छहियं पक्खाफोडियं करेह इमं नयणुप्पाडियं करेह इमं दंसणुप्पाडियं वसणुप्पाडियं जिन्भुप्पाडियं ओलम्बियं करेह घसियं करेह घोलियं करेह सूलाइयं करेह सूलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गिदढयङ्गं कागणिमंसखावियङ्गं भत्तपाणनिरुद्ध इमं जावजीवं वहबन्धणं करेह इमं अन्नयरेण असुभेणं कुमारेणं मारेह । जा वि य से अन्भिन्तरिया परिसा भवइ, तं जहा-माया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा भजा इ वा पुत्ता इ वा धूया इ वा सुण्हा इवा, तेर्सि पि य ण अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ, सीओदगवियर्डसि उच्छोलित्ता भवइ जहा मित्तदोसवत्तिए जाव अहिए परंसि लोगंसि । ते दुक्खन्ति सोयन्ति जूरन्ति तिप्पन्ति पिट्टन्ति परितप्पन्ति ते दुक्खणसोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितप्पणवहबन्धणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवन्ति । एवमेव ते इत्थिकामेहि मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना जाव वासाइं चउपञ्चमाइं छद्दसमाई वा अप्पयरो वा भुजयरो वा कालं भुजित्तु भोगभोगाइं पविसुइत्ता वेराययणाई संचिणित्ता वहुई पावाई कम्माइं उस्सन्नाई संभारकडेण कम्मुणा से जहानामए अयगोले इवा सेलगोले इ वा उदगंसि पक्खित्ते समाणे उदगयलमइवइत्ता अहे धरणियलपइट्ठाण भवइ, एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए वजबहुले धूयबहुले पड्कबहुले वेरबहुले अप्पत्तियबहुले दम्भबहुले नियडिवहुले साइबहुले अयसबहुले उस्सन्नतसपाणघाई कालमासे
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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