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________________ सुत्तागमे [सूयगढ़१०४ निए ॥ ६ ॥ ६५ ॥ सयंभुणा कडे लोए इइ वुत्तं महेसिणा। मारेण संथुया माया तेण लोए असासए ॥ ७ ॥ ६६ ॥ माहणा समणा एगे आह अण्डकडे जए । असो तत्तमकासी य अयाणन्ता मुसं वए ॥ ८॥ ६७ ॥ सएहिं परियाएहिं लोगं वूया कडे ति य । तत्तं ते न वियाणन्ति न विणासी कयाइ वि ॥ ९ ॥ ६८ ॥ अमणुन्नसमुप्पायं दुक्खमेव वियाणिया। समुप्पायमयाणन्ता कहं नायन्ति संवरं ॥ १० ॥ ६९ ॥ सुद्धे अपावए आया इहमेगेसिमाहियं । पुणो किट्ठापदोसेगं सो तत्थ अवरज्झई ॥ ११ ॥ ७० ॥ इह संवुडे मुणी जाए पच्छा होइ अपावए । वियडम्बु जहा भुजो नीरयं सरयं तहा ॥ १२ ॥ ७१ ॥ एयाणुवीइ मेहावी वम्भचेरेण ते वसे । पुढो पावाउया सव्वे अक्खायारो सयं सयं ॥ १३ ॥ ७२ ॥ सए सए उवठ्ठाणे सिद्धिमेव न अन्नहा । अहे इहेव वसवत्ती सव्वकामसमप्पिए ॥१४॥ ॥ ७३ ॥ सिद्धा य ते अरोगे य इहमेगेसिमाहियं । सिद्धिमेव पुरो काउं सासए गढिया नरा ॥ १५ ॥ ७४ ॥ असंवुडा अणाईयं भमिहिन्ति पुणो पुणो । कप्पकालमुवजन्ति ठाणा आसुरकिब्बिसिय ॥ १६ ॥ ७५ ॥ त्ति बेमि ॥ समयज्झयणे तइयुद्देसो॥ ___ एए जिया भो न सरणं बाला पण्डियमाणिणो । हिंच्चा णं पुन्वसंजोयं सिया किचोवएसगा ॥१॥ ७६ ॥ तं च भिक्खू परिन्नाय वियं तेसु न मुच्छए । अणुकस्से अप्पलीणे मज्झेण मुणि जावए ॥ २ ॥ ७७ ॥ सपरिग्गहा य सारम्भा इहमेगेसिमाहियं । अपरिग्गहा अणारम्भा भिक्खू ताणं परिव्वए ॥ ३ ॥ ७८ ॥ कडेसु घासमेसेजा विऊ दत्तेसणं चरे । अगिद्धो विप्पमुक्को य ओमाणं परिवजए ॥४॥ ७९ ॥ लोगवायं निसामेज्जा इहमेगेसिमाहियं । विवरीयपन्नसंभूयं अन्नउत्तं तयाणुयं ॥ ५॥ ८० ॥ अणन्ते निइए लोए सासए न विणस्सई । अन्तवं निइए लोए इइ धीरोऽतिपासई ॥ ६ ॥ ८१ ॥ अपरिमाणं वियाणाइ इहमेगेसिमाहियं । सव्वत्थ सपरिमाणं इइ धीरोऽतिपासई ॥ ७ ॥ ८२॥ जे केइ तसा पाणा चिट्ठन्ति अदु थावरा । परियाए अत्थि से अञ्जु जेण ते तसथावरा ॥ ८ ॥ ८३ ॥ उराल जगओ जोगं विवजासं पलेन्ति य । सव्वे अकन्तदुक्खा य अओ सव्वे अहिंसिया ॥९॥ ८४ ॥ एवं खु नाणिणो सारं जं न हिंसइ किंचण । अहिंसासमयं चेव एयावन्तं वियाणिया ॥ १०॥ ८५॥ वुसिए य विगयगेही आयाणं सम्म रक्खए । चरियासणसेज्नासु भत्तपाणे य अन्तसो ॥ ११ ॥८६॥ एएहि तिहि ठाणेहिं संजए सययं मुणी । उक्कसं जलणं नूम मज्झत्थं च विगिचए ॥ १२ ॥ ८७ ॥ समिए उ सया साह पञ्चसंवरसंवुडे । सिएहि असिए भिक्खू आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥ १३ ॥ ८८ ॥ त्ति वेमि ॥ समयज्झयणं पढमं ॥
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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