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________________ मूर्खता अथवा चातुर्य नन्दिग्राम से बाहिर आने पर बिम्बसार ने सेठ जी से नन्दिग्राम की ओर सकेत करके पूछा" मामा १२ ܙܙ ܕ यह गाव बसा हुआ है अथवा ऊजड सेठ जी राजकुमार के इस प्रश्न को सुनकर आश्चर्य में पड गए । वह सोचने लगे कि राजकुमार कैसी मूर्खता की बात कह रहा है, जो इसे यह भी दिखाई नही देता कि यह गाव बसा हुआ है अथवा ऊजड | तथा एक पुरुष के कर्कश अब ये दोनो फिर अपने मार्ग पर आगे चल पडे । थोडी दूर जाने पर उनको एक और छोटा गाव मिला। इस गाव मे सभी झोपडिया थी, जिनसे पता चलता था कि उस गाव मे धनिक कोई नही है । यह लोग गाव के समीप पहुँचे तो इनको एक स्त्री के धाडे मार-मार कर रोने स्वर मे चिल्लाने का शब्द सुनाई दिया । आगे बढने पर उन्होने देखा कि एक व्यक्ति अपनी स्त्री को मार रहा है । स्त्री धाडे मार-मार कर रोती जाती थी और पुरुष कर्कश स्वर में उसको डाटता जाता था । यह दोनो लाचार होकर इस दृश्य को देखते हुए आगे निकल गए। गाव के दूसरे किनारे पर आ जाने पर भी उनके कान मे उस स्त्री के रोने का शब्द आ रहा था । तब उसको सहने असमर्थ होकर राजकुमार ने सेठ जी से पूछा I "मामा यह अपनी बधी हुई स्त्री को मार रहा है अथवा खुली हुई को ?" २० सेठ जी राजकुमार के इस प्रश्न को भी सुनकर चुप हो गए। वह सोचने लगे कि यह युवक कैसा विचित्र है कि इसको यह भी दिखलाई नही देता पिटनेवाली स्त्री बधी हुई है अथवा खुली हुई । इस गाव से आगे बढ़कर यह दोनो गाव के बाहिरखेतो मे पहुँच गए ।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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