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________________ जैन धर्म का परिग्रहण अपने आत्मा की निंदा करो। आत्म-हत्या से पापो की शाति नही हो सकती।" मुनिराज के यह वचन सुनकर महाराज को बडा भारी आश्चर्य हुआ। वह महारानी से कहने लगे "सुन्दरी | यह क्या बात हुई ? मुनिराज वे मेरे मन की बात कैसे जान ली ?" तब रानी ने उत्तर दिया "नाथ | यह मुनिराज त्रिकालदर्शी है । आपके मन की बात तो क्या, यह आपके अगले-पिछले जन्मो का हाल भी बतला सकते है।" रानी के यह वचन सुनकर राजा ने मुनि के मुख से धर्म का वास्तविक स्वरूप सुनकर जैन धर्म को धारण किया। उन्होने उसी समय श्रावक के व्रत धारण किये और रानी सहित मुनिराज के चरणो की वन्दना कर उनके गुणो को स्मरण करते हुए आनन्दपूर्वक अपने घर वापिस आगये।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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