SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शाली तथा मगो मे एक स्थायी सधि भी हो गई। उन दिनो मगध उन्नति के चरम शिखर पर था। बौद्ध ग्रन्थ महावग्ग के अनुसार मगध राज्य मे ८०,००० ग्राम थे, जिनके ग्रामिक बिम्बसार की राजसभा मे एकत्रित हुआ करते थे। एक अन्य बौद्ध ग्रन्थ मे उसके राज्य का विस्तार ३०० योजन लिखा गया है। बिम्बसार के रनवास मे अनेक रानिया थी । जैन ग्रन्थो मे नन्दश्री, कोशलराजकुमारी, केरल राजकुमारी तथा लिच्छवी राजकुमारी यह चार रानिया ही उसकी बतलाई गई है, किन्तु बौद्धग्रन्थ महावग्ग के अनुसार उसकी रानियो की संख्या ५०० थी। सभव है कि इस विषय मे बौद्ध लेखक ने कुछ अतिशयोक्ति से काम लिया हो । जैन ग्रन्थो में राजा श्रेणिक के पाठ पुत्रो के नाम मिलते है । उनमे नन्दश्री का पुत्र अभयकुमार सबसे प्रसिद्ध था। रानी चेलना के सात पुत्र बतलाए गए है, जिनमे कुणिक सबसे बड़ा था। अजातशत्रु के नाम से बाद में वही मगध-सम्राट् बना था। बौद्ध ग्रन्थों मे दर्शक, शीलवन्त तथा विमल आदि के नाम भी राजा बिम्बसार के पुत्रो के रूप में मिलते है। बिम्बसार की बुद्ध तथा महावीर से समसामयिकता-बिम्बसार १५ वर्ष की आयु में ईसापूर्व ५८४ मे मगध की गद्दी पर बैठा था। उसने पूरे ५२ वर्ष तक राज्य किया। अतएव उसका पुत्र अजातशत्रु ईसापूर्व ५३२ में गद्दी पर बैठा। बिम्बसार ने महात्मा गौतम बुद्ध तथा भगवान् महावीर दोनो के ही दर्शन करके उन दोनो के मुख से उपदेश सुना था। भगवान् महावीर स्वामी का निर्वाण अजातशत्रु के राज्य के छटे वर्ष ईसापूर्व ५२६ मे तथा बुद्ध का निर्वाण उनसे दो वर्ष बाद ईसापूर्व ५२४ मे हुआ था । भगवान् महावीर स्वामी का निर्वाण ७२ वर्ष की आयु में हुआ था। उन्होने २८ वर्ष की आयु में दीक्षा ली, उसके बाद १४ वर्ष तक तप किया तथा ४२ वर्ष की आयु मे केवल-ज्ञान होने पर तीस वर्ष तक उपदेश दिया। इस प्रकार भगवान् महावीर स्वामी का जन्म ईसापूर्व ५९८ में हुआ। उन्होने २८ वर्ष की प्रायु में ईसा पूर्व ५७० में दीक्षा ली। उसके बाद १४ वर्ष तक तप करके ईसा पूर्व ५५६ में उनको केवल ज्ञान हुआ और उसके तीस वर्ष बाद ईसापूर्व ५२६ में वह मोक्ष गए।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy