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________________ मिलिन्द ने यही राज्य किया । इस प्रकार इन सोलह महाजनपदो के प्रतिरिक्त उन दिनो भारत मे अन्य भी अनेक जनपद थे, जिनमे अनेक स्वतन्त्र थे । कोशल के उत्तर तथा मल्लजनपद के पश्चिमोत्तर मे आधुनिक नेपाल की तराई मे अचिरावती (राप्ती) तथा रोहिणी नदी के बीच शाक्यों का गणराष्ट्र था, जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी । महात्मा बुद्ध का जन्म यही हुआ था । शाक्य गरण के पास ही कोलिथ गरण था, जिसकी राजधानी रामग्राम थी । वही मोरियगरण भी था, जिसकी राजधानी पिप्पलिवन थी । बुलि गरण, भग्ग गण तथा कलाप गण भी यही थे, जिनकी राजधानियों के नाम क्रम से अल्लकप्प, सुमार तथा केसपुत्त थे । गाधार, कुरु तथा मत्स्य के बीच में केकय, मद्रक, त्रिगर्त और यौधेय जनपद थे तथा अधिक दक्षिण में सिन्धु, शिवि, श्रम्बष्ठ तथा सौवीर आदि थे । सिहल को नागद्वीप, ताम्रपर्णी या ह्स द्वीप भी कहते थे । सौवीर के सम्बन्ध मे तीन मत मिलते है । एक मत के अनुसार वह दक्षिण में था, दूसरे के अनुसार वह सिंध था तथा तीसरे मत के अनुसार वह सूरत था । किन्तु यह सभी जनपद उस समय अपने पडौसी शक्तिशाली महाजनपदो की किसी न किसी रूप में प्रधीनता स्वीकार करते ही थे. वास्तविक बात तो यह है कि इन सोलह महाजनपदो में से भी मगध, वत्स, कोशल और अवन्ति यह चार ही सबसे अधिक शक्तिशाली थे । यह एक और अपने पडौसी जनपदो को जीतकर अपने अधीन करते जाते थे तो दूसरी ओर यह आपस मे भी एक दूसरे को हडप जाने का यत्न किया करते थे । aur बिम्बसार का शासन - यह ऊपर बतला दिया गया है कि श्रेणिबल के धारक सेनापति भट्टिय ने राजा बालक को मार कर मगध के राजसिंहासन को हस्तगत किया था । सम्भवत इस राजा बालक का दूसरा नाम कुमारसेन भी था । महाकवि बाणभट्ट ने भी इस घटना का उल्लेख अपने ग्रन्थ हर्षचरित्र मे किया है । उन दिनो महाकाली के मेले मे महामास की बिक्री के कारण एक झगडा उठ खडा हुआ था । उस गडबड से लाभ उठाकर श्रेणिक भट्टिय की लेरणा से तालजङ्घ नामक एक वेताल' सैनिक ने राजा कुमारसेन पर अचानक आक्रमण करके उसे जान से Ra
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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