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________________ श्रेणिक बिम्बसार लोगो का उत्साह इतना बढा हुआ है कि वह मगध पर आक्रमण करके हमारे यहा भी गणराज्य की स्थापना करना चाहते है, फिर उनसे विवाह-सबन्ध की बात कैसे चलाई जा सकती है। अभयकुमार-महामात्य । मुझे आपकी बुद्धि की प्रशसा करनी ही पडती है। आप बहुत दूर से बात को ताड लेते है। जिस बात का पता मुझे अत्यन्त यत्न करने पर चल सका, आप उसको पहले ही जान चुके थे। इतना ही नही, वरन् आप उद्योग तो उसके लिये उससे भी पूर्व कर चुके थे। किन्तु, महामात्य ! आप जहा अपना उद्योग इस विषय मे सफल होते न देखकर चुप होकर बैठ गये, वहा मै इस विषय मे निराश नही हूँ। मेरा विश्वास है कि यदि हम तनिक होशियारी से काम ले तो इस विषय में सफलता निश्चय से प्राप्त की जा सकती है। वर्षकार--मै आपका आशय नही समझा, युवराज । वैशाली गणतत्र इस समय मगध पर आक्रमण करने की तैयारी बड़े जोर-शोर से कर रहा है। सोन तथा गगा दोनो ही नदियो के उस पार के घाटो पर बडे-बडे युद्धपोत सेनामो को इस पार उतारने के लिये तैयार खडे है। समस्त बज्जी गणतत्र के युद्धकारखानो मे धडाधड शस्त्रास्त्र बनाये जा रहे है। सैनिको की नई भर्ती करके उनको बडे वेग से सैनिक शिक्षा दी जा रही है। फिर अग देश का राजा दृढवर्मा तथा वत्स देश का राजा उदयन भी मगध के विरोधी तथा वैशाली के राजा चेटक के सबधी है । मगध और वैशाली मे युद्ध होने पर वह वैशाली को अवश्य पूरी सहायता देंगे। ऐसी स्थिति मे तुमको आशा की किरण कहा से दिखलाई दी, यह मै नही समझा युवराज | अभयकुमार- मेरा विचार तो महामात्य यह है कि उस राजकुमारी को बैशाली से उडा कर मगध ले आया जावे । महामात्य अभयकुमार के मुख से इन शब्दो को सुनकर एकदम चौक पडे और बोले___"कैसी बात करते हो, युवराज ! क्या सर्प के बिल मे घुस कर २०६
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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