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________________ प्रबल शासक था। उसने अनेक युद्धो में विजय प्राप्त की थी। इसीलिये उसे चण्ड प्रद्योत भी कहते थे । वत्स को जीतने की उसे बडी अभिलाषा थी। इसलिये उसमे तथा उदयन मे बहुत समय तक शीतयुद्ध चला। उदयन को उन दिनो.वीणावादन में तीन लोक मे अद्वितीय समझा जाता था। वीणा बजाकर ही वह हाथियो को भी पकड लिया करता था। एक बार प्रद्योत ने वत्स की सीमा पर एक नकली हाथी खड़ा करवा दिया और उसके पेट मे अनेक योद्धामो को छिपा दिया। उदयन जब उसको वश मे करने गया तो योद्धा लोग उसे पकड कर उज्जैन ले गए। प्रद्योत ने उज्जैन लाकर उसे अपनी पुत्री को सगीत सिखाने का कार्य दिया। बीच में एक पर्दा डालकर सगीत की शिक्षा दी जाती थी। प्रद्योत ने अपनी पुत्री को बतला रखा था कि उसे एक अन्धा शिक्षा दे रहा है और उदयन को बतला रखा था कि उसे एक कुबडी वृद्धा को शिक्षा देनी है। एक दिन किसी बात पर राजकुमारी ने उदयन को अन्धा कहा । तब उदयन ने उसे कुबडी बुड्ढी कहा। अत मे उसने असली बात को जानकर राजकुमारी को अपना वास्तविक परिचय दिया। अब तो दोनों में घनिष्ठ प्रेम हो गया। उधर उदयन का कूटनीति-विशारद महामात्य यौगन्धरायण अपनी नीति का आश्रय लेकर समस्त उज्जैन में अपने चरो का जाल बिछा चुका था। उनकी सहायता से उसने उदयन को प्रद्योत की पुत्री सहित उज्जयिनी से चुपचाप निकाल लिया । अपनी पुत्री से उदयन का विवाह हो जाने पर चण्ड प्रद्योत ने भी उन दोनो को आशीर्वाद दिया। इसके पश्चात् अवन्ति तथा वत्स मे स्थायी सधि हो गई। १५. गान्धार-आजकल के अफगानिस्तान तथा पख्तूनिस्तान का नाम उन दिनों गाधार देश था। आजकल के कन्दहार नगर का नाम उन दिनो गाधार था और उसी के नाम पर इस देश का नाम गान्धार देश पड़ा था। महाभारत के समय दुर्योधन का मामा शकुनि यहा का राजा था। इसीलिये उसकी बहिन को गान्धारी कहा जाता था। सोलहामहाजनपद काल में गान्धार देश की राजधानी तक्षशिला थी। इन दिनों गान्धार के राजा का नाम पुक्करणाति अथवा पुक्कसाति था। उसने राजा बिम्बसार को पठौनी भेजी थी और युद्ध मे प्रद्योत को हराया था। आजकल के रावलपिण्डी, पेशावा, काश्मीर तथा हिन्दूकुश पर्वतमाला' सब गान्धार में ही थे।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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