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________________ श्रमण गौतम ~~~~mwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww. mausamaaree...rrm और संगीत सुना । वह राहुल के साथ खेले । यशोधरा के माथ उन्होने प्रेमालाप किया, किन्तु उनके हृदय में यह विचार चलते ही रहे । इसी प्रकार दोपहर ढलने का समय होने पर वह अपने रथ में बैठ कर फिर टलने को निकले । अब की बार जो वह बाजारो मे आये तो उनके नेत्र वरावर उम वृद्ध तथा रोगी को खोज रहे थे। वह बाजार में चारो ओर अत्यन्त ध्यान से देखते और आगे को वढते जाते थे। उसी समय उनको मार्ग मे कुछ लोग मिले जो एक मुर्दे को श्मशान लिये जा रहे थे। उस मर्दे को देखकर कुमार और भी मोच मे पड गये । उनकी यह विल्कुल समझ मे न आया कि लोग एक आदमी को कधे पर उठाये हुए क्यो ले जा रहे है ? फिर उनकी समझ मे यह भी नहीं आया कि वह आदमी बोलता क्यो नही? फिर वह यह सोचने लग कि वह लोग उसे कहा ले जा रहे है और फिर वह उसका क्या करेगे? उनके मन में इस प्रकार बहुत से प्रश्न आते रहे और वह किसी भी प्रश्न का उत्तर अपने अन्दर से न निकाल सके। अन्त में उत्सुकता अत्यधिक बढ जाने पर उन्होने साथ मे बैठे हुए अमात्य से पूछा। ___ "अमात्य ! वह व्यक्ति कौन है और यह लोग उसको इस प्रकार क्यों उठाये हुए हैं ?" "कुमार, यह व्यक्ति मर चुका है और अब वह केवल एक मुर्दा या शव है। यह लोग उसे श्मशान ले जाकर वहा फूक देगे।" "है ! क्यो फूक देगे वह उसे ?" "क्योकि अब उसका यह शरीर किसी काम नहीं आ सकता और यदि उसको जल्दी ही न फू का जावेगा तो उसमें दुर्गन्ध पैदा हो जावेगी, जो बढतेबढते इतनी तेज हो जावेगी कि उसको सह्न नही किया जा सकेगा।" "अच्छा ! जीवन की वास्तविकता यही है ? मुझको भी क्या एक दिन इसी प्रकार मरना होगा ?" "और क्या कुमार !" कुमार महामात्य के इस उत्तर से अत्यधिक विचलित हो गए। अब फिर उनके लिये टहलना असभव हो गया और वह सेवको को वापिस लौटने को
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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