SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ नमः सिद्धेभ्यः अथ श्रीखमयखार नाटक छारंभ । अथ श्रीपार्श्वनाथजीकी स्तुति ॥ झंझराकी चाल ॥ सवैया ॥ ३१॥ ___ कमर भरमजग तिमिर हरन खग, उरग लखन पग सिवमग दरसि ।। निरखत नयन भविकजल वरषत हरषत अमित भविकजन सरसि ॥ मदन कदन नित परम धरमहित, सुमरत भगत भगतसत्र डरसि ॥ सजल जलदतन मुकुटसपत फन, कमठदलननिन नमत वनरसि ॥ १॥ अब समस्तलघु एकस्वर चित्रकाव्य ॥ छप्पयछंद ॥ पुनः। श्रीपार्श्वनाथजीकी स्तुति. सकल करम खल दलन, कमठ सठ पवन कनक नग ।। धवल परम पद रमन, जगतजन अमल कमल खग ॥ परमत जलधर पवन, सजलघन समतन समकर ॥ परअघ रजहर जलद, सकलजन नत भव भयहर ॥ यमदलन नरकपद क्षयकरन, अगम अतट भव जलतरन ।। वर सवल मदन चन हर दहन, जयजय परम अभयकरन ॥२॥ पुनः सवैया ३१ सा. .' 'जिन्हके वचन उर धारत युगल नाग, भये धरनिंद पदमावती पलकमें॥ जाके नाममहिमासौ कुधातु कनककरै पारसपाखान नामी भयोहै खलकमें। जिन्हकी जनमपुरी नामकेप्रभाव हम, आपनौं स्वरूप. लख्यो भानुसो .
SR No.010588
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages134
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy