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________________ - 74744444LELLETEL 11. 1545454545454545454545 प्रशममूर्ति प्रशम-मूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी की जन्म जयन्ती तथा दीक्षा दिवस समारोह, परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज की सत्प्रेरणा से जिस प्रकार हम शाहपुर वासी मनाते हैं। उसी प्रकार सम्पूर्ण भारत में मनाई जाये। यही मेरी मनोकामना है। आचार्य श्री के चरणों में सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित है। शाहपुर मण्डी, मुजफ्फरनगर जिनेन्द्र कुमारजन यशस्वी श्रमण 19वीं शताब्दी तथा उससे पूर्व कई शताब्दियों में, जब कि सम्पूर्ण जा LF भारतवर्ष में दिगम्बर जैन मुनिराजों का अभाव सा हो गया था, लगता था , कि कहीं दि. जैन मुनिराजों की परम्परा लुप्त ही न हो जाए, ऐसे समय में 19वीं शताब्दी के अंतिम भाग में दि. जैन मुनि परम्परा में मानों दो सूर्य का उदय हुआ। एक दक्षिणी भारत में परमपूज्य 108 आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज (दक्षिण) और दूसरे उत्तरी भारत में पर पूज्य 108 आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी राजस्थान। दोनों ही आचार्यगण ने इस 20वीं शताब्दी के प्रथम चरण में जहां विलुप्त सी होती हुई मुनि परम्परा को नवजीवन प्रदान किया, वहाँ सम्पूर्ण भारत को दिगम्बर जैनधर्म के प्रकाश से आलोकित किया और सन् 1933 - में ब्यावर (राजस्थान) में एक साथ चातुर्मास करके तो दोनों महान् आचार्यो । ने मानो चौथे काल का ही दृश्य उत्पन्न कर दिया था। धर्म के इतिहास की यह एक उल्लेखनीय तथा स्मरणीय घटना थी। परमपूज्य 108 आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) ने सन् 1923 में मुनि दीक्षा लेकर 22 वर्ष तक संपूर्ण उत्तरी तथा मध्य भारत में विहार किया और जन-जन को धर्म के मार्ग पर लगाया। आचार्य श्री के प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर मणी स्मृति-ग्रन्थ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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