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________________ 545454545454545454545454545457 1545454545 शत-शत नमन आचार्य शान्तिसागर जी छाणी महाराज के जीवन परिचय से ज्ञात होता है, कि वे अपने युग के महान सन्त थे। वे परम कृपालु थे। उन्होंने देश में अहिंसा धर्म का प्रचार किया और प्राणी मात्र को गले लगाया। ऐसे आचार्य श्री का स्मृति ग्रन्थ निकल रहा है यह महान प्रसन्नता का विषय है। मेरा उनके चरणों में शत-शत नमन है। भतड़ाई (रांची) विहार (डॉ.) शम्भूनाथ जैन सराक ' सादर श्रद्धाञ्जलि परमपूज्य 108 उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज अपने प्रवचनों में आचार्य शान्तिसागर जी छाणी के दिव्य जीवन का उल्लेख करते रहते हैं। आचार्य श्री के सभी गुण हमारे जीवन में भी उतरें और हमें भी कभी मुनि मार्ग पर चलने का सुअवसर प्राप्त हो। यही हमारी उनके चरणों में सादर श्रद्धाञ्जलि है। तड़ाई (रांची) गोवर्धन चौधरी (सराक जैन) अमर ज्योति आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी ने जिस श्रद्धा, त्याग, तप एवं निष्ठा की अमर ज्योति जगाई है, वह आने वाले युगों तक मानव समाज के पथ को प्रदर्शित करती रहेगी। इस परमोपकारक श्रेष्ठ सन्त की स्मृति में शत शत श्रद्धाञ्जलि। Tरांची (बिहार प्रांत) रामचन्द्र बड़जात्या बड़जात्या ब्रदर्स 128 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 555555555555
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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