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________________ 555554545454545454545454545454545 दिव्य विभूति को शत-शत नमन परमपूज्य उपाध्याय 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से परमपूज्य प्रातःस्मरणीय प्रशान्तमूर्ति 108 श्री आचार्य शान्तिसागर जी (छाणी) स्मृति ग्रन्थ में प्राञ्जल भाषामय, सुसंस्कृत एवं ज्ञान, वैराग्यवर्धक सामग्री प्रकाशित +की जा रही है, जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। निःसन्देह प्रस्तुत प्रकाशन ITE से आचार्य श्री के बारे में विस्तृत जानकारी समाज को मिल सकेगी। "स्मृति-ग्रन्थ' एक प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। मैं एवं शाहपुर जैन समाज उस दिव्य विभूति के श्री चरणों में शत शत नमन करते हुए उस महान दिव्यात्मा को हार्दिक श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ। शाहपुर ___ जयन्ती प्रसाद जैन मुजफ्फरनगर, उ.प्र. प्रधान-जैन समाज शाहपुर सन्मार्गदर्शक प्रशममर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज का जन्म कार्तिक वदी 11 सन् 1888 को छाणी नगर (राजस्थान प्रान्त) मे हुआ। इस समय मुनि परम्परा अवरुद्ध सी प्रतीत हो रही थी और मनियों के दर्शन असम्भव से लगने लगे थे। इस असम्भव को सम्भव बनाया बालक केवलदास से बने क्षुल्लक शान्तिसागर ने, जिन्होंने भाद्रपद शुक्ला 14 (अनन्त चौदस) सन् 1923 को सिंहवृत्तिरूप दिगम्बर मुनि दीक्षा धारण की, आपने समस्त भारतवर्ष में जैन । धर्म का प्रचार-प्रसार किया। आचार्य श्री फोटो खिंचवाने से परहेज करते थे इसी कारण उनका परिचय नई पीढ़ी को अपेक्षाकृत कम हो पाया। युवामनीषी उपाध्याय 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने इस दिशा में महान प्रयास किये। आचार्य श्री से सम्बन्धित साहित्य पूरे भारतवर्ष से खोज-खोज कर मंगाया गया. यह स्मृति ग्रन्थ उन्हीं की सत्प्रेरणा का प्रतिफल हैं। यशस्वी, तपस्वी, जिनधर्म प्रभावक, सन्मार्गदर्शक आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) के चरणों में मैं अपनी विनम्र श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है। सरधना प्रमोद कुमार जैन 26 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 359999999999999)
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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