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________________ प्र 与纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷纷 शान्तिधर्मशिक्षा (प्रस्तुत शान्ति धर्मशिक्षा, शान्ति पंचरत्न संग्रह से संग्रहीत है जो आचार्य शान्तिसागर जी द्वारा रचित है उपयोगी होने से यहाँ दे रहे हैं-स.) ज्ञानलक्ष्मीघनाश्लेषमभयानन्दनन्दितम् । निश्चितार्थमहं नौमि परमानन्दमव्ययम् ।। 1 ।। ।। श्री आदिनाथस्तुति ।। भुवनाम्भोजमार्तण्डधर्मामृतपयोधरम् । योगी कल्पतरुं नौमि देवदेवं वृषध्वजम्।। 2 11 ।। श्री चन्द्रप्रभस्तुति ।। भवज्वलनसंभ्रान्तसत्त्वशान्तिसुधार्णवः । देवश्चन्द्रप्रभः पुष्पात् ज्ञानरत्नाकरश्रियम् ।। 3 ।। ।। श्री शान्तिनाथस्तुति । । सत्यसंयमपयः पूरः पवित्रितजगत्त्रयम् । शान्तिनाथं नमस्यामि विश्वविघ्नौघशान्तये ॥ 4 ॥ ।। श्री वर्धमानस्तुति ।। श्रियं सकलकल्याणं कुमुदाकारचन्द्रमाः । देव : श्री वर्धमानाख्यः क्रियादिभव्याभिनन्दिताम् ।। 5 ।। ।। जिनवाणीस्तुति ।। श्रुतस्कन्धनभश्चन्द्रसंयमश्रीविशेषकम् । इन्द्रभूतिं नमस्यामि योगीन्द्रं ध्यानसिद्धये ।। 6 ।। ।। उपदेशक के लक्षण ।। प्रबोधाय, विवेकाय, हिताय, प्रशमाय च । सम्यक् तत्त्वोपदेशाय, सतां सूक्तिं प्रवर्तते ।। 7 ॥ ।। धर्म की महिमा ।। धर्मः त्रिलोकबन्धुः धर्मः शरणं भवेत् त्रिभुवनस्य । धर्मेण पूजनीयः भवति नरः सर्वलोकस्य ।। 8 ।। धर्मेण कुलविपुलं धर्मेण च दिव्यरूपमारोग्यम् । धर्मेण जगत्कीर्तिः धर्मेण भवति सौभाग्यम् ॥ 9 ॥ प्रथममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ फफफफफफफफफफफhhhhhhhhhh 279 卐坂卐卐55555555555卐
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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