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________________ 454545454545454545454545454545 ११६ ११८ ... ११९ १२० R १२२ B श्री शान्तिसागर चम्पूखण्डकाव्यम् : डॉ. दयाचन्द्र साहित्याचार्य ११२ शान्ति सिन्धु जी तुम्हे नमन : पं. पवनकुमार शास्त्री ११४ शत-शत श्रद्धा से नमामि है : पं. बाबूलाल फणीश वन्दे शान्तिसागरम् : पं. पूलचन्द्र जैन शास्त्री मस्तक हमें झुकाना है : पं. नेमीचन्द्र जैन शान्तिसूरि स्तुति : पं. शिवचरणलाल जैन ११९ मंगल गान : पं. लक्ष्मणप्रसाद जैन छाणी वाले बाबा : कु. रजनी जैन शास्त्री १२१ पावन होने लगा धरती का कण-कण : बालेश जैन धराधन्य हो गई तुम्हें पा : पं. वर्द्धमानकुमार जैन सोरया १२३ द्वितीय खण्ड : आचार्य शान्तिसागर छाणी और उनकी परम्परा सविनय नमोस्तु : पं. नीरज जैन १२४ आ. श्री शान्तिसागर (छाणी) महाराज का प्रभावक जीवन : डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल १४६ आचार्य श्री शान्तिसागर (छाणी) महाराज की परम्परा के समर्थ आचार्य १७३ आचार्य शान्तिसागर छाणी महाराज के मुनिजीवन के प्रारम्भिक वर्ष : डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल प्रशान्तमूति आचार्य श्री शान्तिसागर (छाणी)व्यक्तित्व एवं कृतित्व : पं. महेन्द्रकुमार ‘महेश' आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी के चातुर्मास की सूची २४७ HAB L ABE - AR १८४ २१३ प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर आणी स्मृति-ग्रन्थ XXIX 1614949494949454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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