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________________ 1519545454545454545454545455456457455 4यहाँ मगशिर सुदी 14 को आपका केशलोंच शहर के सरकारी स्कूल बोर्डिंग 4 TH के सामने मैदान में हुआ उस समय रायदेश तथा कांटा के बहुत से भाई - ॥ इकट्ठे हुए। यहाँ ईडर के सरस्वती भवन में 8500 हस्तलिखित प्राचीन शास्त्री LE मौजूद हैं और 17 ग्रंथ ताड़पत्र पर कर्नाटकी भाषा में लिखे हुए विद्यमान : हैं। उसमें विद्यानुवाद ग्रंथ भी हैं। उसको आपके उपदेश से ईडर के जैनी I भाइयों ने मुनि शान्तिसागर ग्रंथमाला नये सरस्वती भवन में स्थापित कर दिया है। यहाँ से महाराज ने श्री विहार कर तारंगा श्री सिद्धक्षेत्र की यात्रा की। यहाँ से दासणा, भादवा, नयावाल, दांता आदि गांवों में विहार करते हुए धर्मोपदेश देते हुए तीन भाईयों से विलायती शक्कर का खाना छुड़वाया और अभक्ष्य वस्तुओं का त्याग कराया। यहाँ से विहार कर चांपलपुर होते हुए दोरेल आये । यहाँ से आप बड़ाली, पार्श्वनाथ आये। यहाँ चतुर्थकाल की प्रतिमा अति ही मनोज्ञ दर्शनीय है। यहाँ से फड़िया दरा आकर दो चार दिन रहकर आपने धर्मोपदेश देकर अभक्ष वस्तु आदि का त्याग कराया। यहां पर आपके उपदेश से एक ब्राह्मण ने पंच उदम्बर व तीन प्रकार का त्याग किया। यहां से विहार कर चोटाखण, चोरीचाद, होते हुए मोरेल आये। यहां दो तीन दिन रहकर धर्मोपदेश दिया। जिसका जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ा। यहां से विहार कर पोसीना मुनाब होते हुए बज आकर धर्मोपदेश दिया। यहां से आप मीलोटा, दाकीर आ गये। इस ग्राम TE में एक मील के लगभग दूरी पर एक मंदिर है जिसमें प्राचीन काल की अति TE ही मनोज्ञ दर्शनीय प्रतिमा है उनका दर्शन किया। यहां से आप भीरोड़ा, घुडेटी - होते हुए कुकडिये आये । यहां से ईडर होते हुए जादर, भद्रसेन, हमोड़ा, साबरी, TE और कोटडे आये। राय देश में मृत्यु होने के पीछे छाती कूटने की महानिंदा TE - रीति थी, उसको बंद कराया। यहां से जामुड़ी नचा होते हुए महाराज श्री 4. फतेहपुर आकर श्रावकों को धर्मोपदेश देकर सोनासन गये। यहाँ पर आपने चार दिन रहकर धर्मोपदेश दिया। फिर यहां से कितने ही गांवों में विहार करते हुए ओरणा होते हुए लाकरोड आये। यहाँ आपने चार दिन रहकर धर्मोपदेश दिया यहां एक लायब्रेरी है। यहां से सितवाडे होते हुए आपने अलुवे TE में आकर धर्मोपदेश दिया। आपका तारंगा क्षेत्र पर बहुत प्रभावक चातुर्मास हुआ। चातुर्मास में अनेक संस्थाओं का जन्म हुआ। सभी को खूब दान दिया गया। संस्थाओं का उदघाटन कर आप गोडादर, बावलवाड़ा, ग्रामों में विहार 15211 211 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 45454545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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