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________________ 559595959555555555555555 ज धर्म आदि क्षुल्लक त्यागी, निज निधि करे विचार। ब्रह्मचारी ब्रह्मचारिणी, संघ चतुर्विध धार।। छाणी महाराज की स्मारिका में उनके द्वारा दीक्षित साधुओं के नामों में LE मुनिश्री ज्ञानसागरजी, मुनिश्री आदिसागरजी, मुनि नेमिसागरजी, मुनिश्री वीरसागरजी, आचार्य सूर्यसागरजी, मुनिश्री मल्लिसागरजी एवं क्षुल्लक धर्मसागरजी के नाम गिनाये जाते हैं। दिगम्बर साधु परिचय ग्रन्थ में आ. शान्तिसागरजी छाणी द्वारा दीक्षित साधुओं में मुनि ज्ञानसागरजी, मुनि आदिसागरजी, मुनि नेमिसागरजी, मुनि वीरसागरजी, एवं आचार्य सूर्यसागरजी का नाम ही गिनाया गया है। जो भी हो आचार्य शान्तिसागरजी महाराज ने TE जिन साधुओं को दीक्षित किया था उनमें प्रमुख निम्नप्रकार हैं : 1. आचार्य सूर्यसागर जी ___आचार्य शान्तिसागरजी छाणी के शिष्यों में आचार्य सूर्यसागरजी विशेष ख्याति प्राप्त माने जाते हैं। उनको कुछ विद्वान पट्ट शिष्य भी कहते हैं। लेकिन छाणी महाराज के समाधिमरण के पश्चात् उनको विधिवत् पट्टाचार्य पद नहीं दिया गया और न छाणी महाराज ने उनको पट्टशिष्य घोषित किया। फिर भी उनकी विद्वत्ता, चारित्र-निर्मलता, एवं संघ-दक्षता के कारण वे स्वयमेव अघोषित पट्टशिष्य कहलाते थे। आचार्य सूर्यसागरजी महाराज का जन्म कार्तिक शुक्ला 9 विक्रम सं. 1940 मे हुआ, उनका जन्म नाम हजारीलाल था। 41 वर्ष की आयु में संवत् 1981 (सन् 1924) में उन्होंने आचार्य शान्तिसागरजी छाणी से इन्दौर में मुनि दीक्षा ली। संवत् 1985 में आचार्य पद प्राप्त किया। उन्होंने 24 चातुर्मास किये और दिनांक 14 जुलाई, 52 को संवत् 2009 में 69 वर्ष की आयु में समाधिमरण प्राप्त किया। संवत् 1990 TE (सन् 1936) में जब उन्होंने जयपुर में चातुर्मास किया, तब उस समय लेखक TE को भी उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वे समाज के ऐक्य के लिये निरन्तर प्रयत्नशील रहते थे। जयपुर समाज में वर्षों से चले आ रहे वैमनस्य TE को उन्होंने दूर किया। जयपुर ही नहीं अन्य भी कितने ही गाँवों में उन्होंने एकता स्थापित की। 5 आचार्य सूर्यसागरजी महाराज के दीक्षित साधुओं में आचार्य विजय सागरजी, आनन्दसागरजी, पद्मसागरजी, क्षुल्लक पूर्णसागरजी, क्षुल्लक चिदानन्दजी के नाम उल्लेखनीय हैं। प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ TEEEEEEEEEEELETELEICLE - -1 - - -1 -1 -1 -1 -1 -1 -1 -1 -1 -1 -1 179
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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