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________________ फफफफफफफफफफफफफफ !!!!!!!! रहने का जो नियम लिया था वह और भी पक्का हो गया। इसके अतिरिक्त, दिन में एक बार भोजन करने के नियम ने तो सारे घर को ही विचलित कर दिया। माता-पिता भाई बहन सभी दो बार, तीन बार खाते रहें और सुकुमार बेटा एक ही बार खाये, यह सबके लिए असहनीय था। दो-दिन बाद सबने एक बार भोजन करने का डर दिखाया तथा भूखे भी रहे लेकिन केवलदास ने कहा कि भगवान के सामने लिये हुए नियम मैं कैसे तोड़ सकता हूँ? दिन में एक ही बार खाने से शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता। आखिर सभी को केवलदास की बात माननी पड़ी। सम्मेद शिखरजी की यात्रा केशरियानाथ की यात्रा करने के पश्चात् केवलदास का झुकाव तीर्थ यात्रा की ओर अधिक हो गया। शिखरजी की यात्रा का महत्व तो त्रिकालवर्ती है । "एक बार वंदे जो कोई ताहि नरक पशु गति नहीं होई।" इस पंक्ति ने तो सम्मेदशिखरजी के प्रति अद्भुत श्रद्धा का संचार कर दिया था । केवलदास ने यात्रा की बात पिताजी से कही। पिताजी ने सहज हो कहा कि "यदि वह शादी करते की बात मान ले तो उसे सम्मेदशिखर जी जाने के लिये खर्चा दिया जा सकता है।" पर विवाह की बात केवलदास को स्वीकार न थी। वे अपने जीवन का लक्ष्य कुछ और ही निर्धारित कर चुके थे । इस युवावस्था में भले ही केवलदासजी के पास शास्त्र- ज्ञान की पूँजी नहीं थी, परन्तु गृह-त्याग की उनकी विकलता और उनके संकल्प की दृढ़ता को देखकर लगता है कि 'स्व-पर विज्ञान' का सूर्योदय उनके अन्तस्तल में पूरी तेजस्विता के साथ प्रारम्भ हो चुका था । अपने भावी जीवन के बारे में एक सुस्पष्ट और स्वाधीन कल्पना उन्होंने कर ली थी। हमारा सौभाग्य है कि श्री केवलदासजी के गृह त्याग से लेकर मुनि दीक्षा और आचार्य पद प्राप्ति तक का सारा वृत्तान्त उसी समय उनके एक शिष्य ब्र. भगवानदास जी ने विस्तार से लिखकर तैयार कर लिया। यह "जीवन-चरित्र' आज से पैंसठ वर्ष पूर्व, सन् 1927 में ही प्रकाशित भी हुआ। उसी पुस्तिका में से श्री केवलदासजी की प्रथम शिखरजी यात्रा का प्रसंग नीरज जी ने भूमिका लिखते समय यहाँ जोड़ना चाहा है। केवलदासजी ने विवाह नहीं किया और न गृहस्थी हुए । इनका जन्म प्रशपमूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 153 19444464745555555559 फफफफफफफफफफफ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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