SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4549749745454545454545454545454545 ा सामाजिक मूल्यों और परम्पराओं की रक्षा, उनका व्यवस्थापन एवं संवर्धन में आचार्यश्री का अमूल्य योगदान है। उनकी तपस्या, साधना, चर्या-क्रियाशीलता, दया-करुणा, समता-सहिष्णुता, बड़ी अद्भुत, प्रेरक, प्रभावी और दिशाबोध देने वाली थी। प्रशममूर्ति, करुणासागर आचार्यश्री का हृदय सिन्धु की तरह गम्भीर और विशाल था। उनके अन्तस में जन-जन और प्राणिमात्र का हित निहित था। स्व-पर कल्याण करते हुए उन्होंने अपनी मानव पयार्य को सार्थक किया। ऐसे पुत्ररत्न को जन्म देकर उनके माता-पिता (माणिक बाई और भागचन्द) भी धन्य हुए। वर्तमान साधु-परम्परा भी उस महान सन्त की परम ऋणी है, कि जिन्होंने लुप्तप्राय श्रमण परम्परा को पुनरुज्जीवित कर आगे का पथ प्रशस्त किया। उस महान आत्मा की स्मृति में मैं अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते शत-शत नमन करता हूँ। नमोऽस्तु! नमोऽस्तु!! नमोऽस्तु! बीना (म.प्र.) अभय कुमार जैन दिगम्बर मुनि के केश-लोंच : एक संस्मरण - भारत वसुन्धरा आदिकाल से ऋषि-महर्षियों की ध्यान-स्थली रही है - यह भारत भूमि श्रमण संस्कृति का केन्द्र रही है और आज भी है, इसी वसुंधरा पर ऐसे-ऐसे महान सन्त हो चुके हैं, कि जिनके ऊपर भोग-विलासों - की छाया तक नहीं पडी है, जिन्होंने भोग विलास और समस्त विभतियों. राज्य सम्पदाओं को नश्वर मानकर आजीवन ब्रह्मचारी रहकर जन हित की व स्वयं के कल्याण की भावना से गृहस्थाश्रम को त्याग दिया और आत्म साधना में संलग्न हो गये। इसी ऋषि परम्परा के तारतम्य में आचार्य शान्तिसागर जी छाणी का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है। ये ऋषिराज स्वयं बुद्ध होकर, संसार के जाल में न फंसकर, आत्महित की भावना से, श्रीमद जिनेन्द्र देव के चरणों में बैठकर, उनसे ब्रह्मचर्य व्रत से लेकर क्षुल्लक व दिगम्बरी दीक्षा धारण कर प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 90 15454545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy