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________________ | ग) पृष्ठ नाम पाठ १६१ विसर्जनपाठ १६२ भाषास्तुति पाठ नाम पाठ मंगलाष्टकस्तोत्र संस्कृत' मंगलाष्टकस्तोत्र भाषा चतुर्थ अध्याय । नित्यपूजासंग्रह जिनेन्द्र पंचकल्याणक लघु अभिषेकपाठ लघु पंचामृताभिषेक भाषा १७७ गुरुपूजा जलामिषेक वा प्रक्षाल करनेकापाठ १७९ अकृत्रिमचैत्यालयपूजा' विनयपाठ दोहावली देवशास्त्रगुरुपूजा संस्कृत १८३ पुष्पांजलिपूजा संस्कृत देवशास्त्रगुरुपूजा भाष १६४ विद्यमानविंशतितीर्थंकरपूजासंस्कृते १६८ पंचमेरुपूजा भाषा २०० नंदीश्वरपूजा संस्कृत बीसतीर्थंकरपूजा भाषा विद्यमान बीसतीर्थंकरोंका अर्थ २०३ नंदीश्वरपूजा भाषा अकृत्रिम चैत्यालयोंके मधे २०४ 12 सिद्धपूजा द्रव्याष्टक २०५ सिद्धपूजा भावाष्टक सोलहकारणका अर्घ दशलक्षण धर्मका अघ रत्नत्रयका अ पंचपरमेष्ठिजयमाला शांतिपाठ पंचम अध्याय । 'पर्व पूजा संग्रह | १६४ देवपूजा भाषा १७२ सरस्वतीपूजा २१० २१० १८२ सिद्धपूजा भाषा संस्कृत पंचमेरुसमुद्यय पूजा षोडशकारणपूजा संस्कृत ६ षोडशकारणपूजा भाषा दशलक्षणपूजा संस्कृत दशलक्षणधर्म पूजा भाषा २११ रत्नत्रयपूजा भाषां }*** २११ समुच्चयचौबीसी पूजा := २११ श्री आदिनाथजिन पूजा २१२ श्रीचन्द्रप्रभजिनपूजा पृष्ठ २१५ २१५ : २१७ २२० २२३ २२६ WA २३१ २३४ २३७ २४८ 1 २५७ २६ ० २६७ २७८: २८३ ૨૮૬ . २६१ २६५
SR No.010576
Book TitleVruhhajain Vani Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitvirya Shastri
PublisherSharda Pustakalaya Calcutta
Publication Year1936
Total Pages410
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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