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________________ . १२४] विद्यार्थी जैन धर्म शिक्षा। छठा अध्याय । अजीव तत्व। शिक्षक-हम आपको बता चुके ह कि अजीव तत्वमे पाच गर्मित हे--पुद्गल, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश और काल। पुद्गलका कुछ स्वरूप और जानना जरूरी है। हम पुद्गलके विशेष गुण बता चुके है कि उनमे स्पर्श, रस, गंध, वर्ण चार गुण होने हैं। इनके वीम भेद जानने चाहिये। ८ प्रकार स्पर्श- नरम, कठोर, भारी, हलका, गीत. उप्ण. चिकना, रूग्वा। ५ प्रकार रस-कडआ, खट्टा. तीग्वा, मीठा. कयायला। २ प्रकार गंध--मुगध दुगंध। ५ प्रकार वर्ण-काला, नीला, पीला. लाल. सफेठ । २० गुण पुद्गलोंके दो भेद हे--परमाणु और स्कंध । जिसका दूसरा भाग न हो उसको परमाणु कहते है। परमाणुओंसे बने हुए पिडको स्कंध कहते है। परमाणुमें एक साथ ऊपर कहे हुए वीस गुणोंमेसे पाच गुण पाए जायगे, आठ स्पर्शमेसे दो स्पर्श, उप्ण. गीतमेसे एक कोई तथा चीकने रुखमेसे एक कोई । एक कोई रस, एक कोई गंध व एक कोई वर्ण होगा. इस तरह पांच गुण होंगे। जब कि स्कंधमें एक साथ सात गुण पाए जायगे। आठ स्पर्शमेसे चार स्पर्श। उप्ण गीतमेसे एक, चीकने रूखेमेसे "एक, नर्म कठोरमेसे एक, हलके भारीमेमे एक ।
SR No.010574
Book TitleVidyarthi Jain Dharm Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherShitalprasad
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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