SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौबी० पूजन संग्रह ४८२ . अर्घ-जल चंदन अक्षत लाय पुष्प सुबास लिये। चरु दीप धूप फल भाय पूजें अर्घ दिये ॥ श्रीदेव सुपारस नाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं। :ों ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथजिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। अथ पंचकल्याणक । चौपाई। गर्भ-षष्ठी भादोंशुक्ल महान, ऊरधग्रीवकतजोविमान । पृथ्वीदे माताउरआन,में पूजूनितगर्भ कल्याण । ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथ जिनेंद्राय भाद्रपद शुक्लषष्ठी गर्भकल्याणप्राप्ताय अर्घनिर्वपामीतिस्वाहा। जन्म-जेठशुक्ल संज्ञाचक्रेश,जन्मत्रिभुवननाथदिनेश । इंद्र रुपै न्हवन कराय,हमपद पूजें मंगल गाय। ॐह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेंद्राय जेष्ठ शुक्ल द्वादशीजन्म कल्याण प्राप्ताय अघ निर्वपामीतिस्वाहा॥ तप-बारसजेठउजारीदिना,मनवैरागविचारोजिना। लौकांतिकसुरकियोनियोग,जजें सुपारसदेव - ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथ जिनेन्द्रायज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी तर कल्याणप्राप्ता ज्ञान-फागुनभ्रमरसुसंज्ञाकाय, परम जुकेवलज्ञानलहाया । __ ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेंद्राय ..... निर्वाण-गिरिसर
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy