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________________ चौबी० . पूजन संग्रह ૨૮૨ ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय क्षुधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। दीप-रत्नन के दीपक बार जगमग होत भले । कलधौतक के भरथार मोह अज्ञान टले। श्रीदेव सुपारस नाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं। ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। धूप-मलयागिर चंदन साज गंध अनेकलई । तुम ढिग खेवत महाराज करम कलंक गई। श्रीदेव सुपारसनाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं। .. ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल-सहकार अनार खजूर श्रीफल ल्यावत हैं । पूजत हे करम सुदूर शिवफल पावत हैं। श्रीदेव,सुपारसनाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं॥ ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय ..मोक्ष.फल प्राप्तये फलं निर्वपामीतिःस्वाहा। .
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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