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________________ पजन ... हम जजें नित मंगर संग्रह चौवौ . निर्वाण-शुकल पंचमि चैत महानजी, गिर समेद थकी निर्वान जी। सिद्ध सुथानक आप बिराजई, .. हम जजें नित मंगल साज ही। ॐ ह्रीं श्री अजितनाथ जिनेंद्राय चैत्र शुक्ल पंचमी मोक्ष कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।। ' अथ जयमाला। दोहा।। ... महाअर्घ-जिम वालकसर इंदुलखि,करमें पकडतधायातिमतुम गुण मालाविविध,हम किम वरने गाय १ । छंद कामिनी मोहन । जय अजितेश भुवनेश जिनराय हो, विकट संसार में आप सुखदाय हो । गर्भ अरु जन्म के सार कल्याण में, आय सुरईश कीनों पिता थान में ॥२॥आयु बहत्तरे लक्ष पूरब महा, शेष इक लक्ष में योग तुमने लहा। सहस इक भूपने संग दीक्षा गही, रहे छद्मस्थ जिन वर्ष द्वादश सही ॥३॥करत तपघोर चारों अरीनाशियो, ज्ञान केवल लहा सर्व परकाशियो । धनद सम बाद की सरस शोभारची, पूजियो आय हरि संग निर्जरशची॥ ४॥ सिंह सेनादि गणधीश नव्वे जहां। सर्व मुनिसंघ इक लक्ष राजे तहां । सहस द्वादश शतक चार मुनि जानिये, धरत वादित ऋद्धि सार उन आनियें ॥ ५॥ सहस नव चार से अवधिकर सोहते, करत उपदेश सव भव्य मन मोहते। . निये सहस द्वादश भले, ज्ञान तयं धरें करम अरि को दले ॥६॥ धरत वैक्रियक रिद्धि केवल सहित सहस जिन वीस हैं, कर्म
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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