SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बीबी० पूजन संग्रह .४४७ ज्ञान-कलि फागुण ग्यारस ज्ञान जगा, सब जीव तनो तम सर्वभगा। दिव ध्वनी तबै घन जेम झरे, | गण ईश तबै सु प्रकाश करै। ॐ ह्रीं श्री ऋषभनाथ जिनेंद्राय फाल्गुण कृष्ण एकादशी ज्ञान : कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ निर्वाण-बदिमाघ चतुर्दशि मोक्ष गए, अष्टा पद पै सुर थोक नए । अमरागण की तव नार नची, . भवि वृंदन ने तहां पूज रची। ॐ ह्रीं श्रीऋषभनाथ जिनेन्द्राय माघ कृष्ण चतुर्दशी मोक्ष - कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ अथ जयमाला। दोहा-बपुउतंग धनु पांच से, कनक वर्ण अभिराम । लक्षण वृषभ निहारके, तुम पद करूं प्रणाम ॥१॥ . छंद पद्धड़ी-तजके सर्वारथ सिद्ध थान, मरु देव्या माता कूष आन । तब देवी छप्पन जे कुमारि,ते आई अति आनंद धारि ॥ २॥ ते बहु विध ऊंचा सेवठान, इंद्राणी ध्यावत हर्षमान । तुम जन्म भयो तव इंद्र आय, लख योजन ऐरावत रचाय ॥ ३॥ शत बदन सहित सोहत उतंग, दंतन प्रति सरवर श्वेत रंग। तिनमें फूले बहु कंजसार, ता दल पै अप्सर नृत्य धार ॥ ४॥ ते हैं सत्ताइस क्रोड जान, बहु हाव भाव युत करत गान । इत्यादि भूति युत इंद्र आय, तुम लेय अंक गिरि मेरु जाय ॥ ५॥ तित पांडुक नामा शिल उदार, है अर्द्ध चन्द्रमा के अकार । तापर तिष्ठाये तुम महेश, :
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy