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________________ अध्याय । चारो दिशाओंमें चार विमानों की श्रेणियां हैं और प्रत्येक श्रेणिमें आठ आठ श्रेणिबद्ध विमान हैं। इन तीनों पटलोंमें प्रकीर्णक विमान नहीं हैं। तीनों पटलोंके मिलकर कुल विमान एकसौ ग्यारह हैं। सुप्रबुद्ध पटलके ऊपर लाखों योजनोंके बाद मध्यम वैयक विमान हैं। इन मध्यम ग्रैवेयक विमानोंमें । यशोधर भद्र और विशाल ये तीन पटल है। पहिलेके समान यहांपर भी एक एक विमानकी हानिसे है पिचहचर श्रेणिबद्ध विमान हैं । अर्थात्-"यशोधर विमानकी चारो दिशाओंमें चार विमानोंकी श्रेणियां है है एवं प्रत्येक विमानश्रेणिमें सात सात विमान हैं। सुभद्र विमानकी चारो दिशाओंमें चार विपानोंकी है " श्रेणियां हैं और प्रत्येक श्रेणिमें छह छह विमान हैं। तथा विशाल विमानकी चारो दिशाओंमें चार विमानश्रेणियां हैं और प्रत्येक श्रेणिमें पांच पांच श्रेणिबद्ध विमान हैं।" इसप्रकार मध्यप्रैवेयकोंमें श्रेणिबद्ध विमान पचहचर हैं और बचीस पुष्पप्रकीर्णक विमान हैं, सब मिलकर एकसौ सात विमान हैं। सुविशाल पटलके ऊपर लाखों योजनोंके बाद उपरिम अवेयक विमान हैं। उनमें सुमन सौमन और प्रीतिकर ये तीन पटल हैं । पहिलेके समान यहां भी एक एक विमानकी कमीसे उनतालीस श्रेणिबद्ध विमान हैं अर्थात सुमन विमानकी चारो दिशाओंमें चार विमानोंकी श्रेणियां हैं और हर एक विमान है श्रेणिमें चार चार श्रेणिबद्ध विमान हैं। सौमन विमानकी चारो दिशाओंमें चार विमानश्रेणियां हैं और है प्रत्येकमें तीन तीन श्रेणिबद्ध विमान है । तथा प्रीतिकर विमानकी चारो दिशाओंमें विमानोंकी चार श्रेणियां हैं और प्रत्येक श्रेणिमें दो दो विमान हैं इसप्रकार उपरिम ग्रैवेयकोंमें श्रोणिबद्ध विमान उनतालीस और बावन पुष्पप्रकीर्णक विमान हैं सब मिलकर कुल विमान इक्यानवे हैं। प्रीतिकर विमानसे, ऊपर लाखों योजनोंके वाद नव अनुदिश विमान हैं। उनमें एक आदित्य ने र aURURAMInswer
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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