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________________ सूत्र-विभाग- प्रवेश प्रामोतारी ...itaine: हैं, जिसमे गणधर, भगवान् की आज्ञा, उपदेश, मत रूप-रत्नो को गूंथते है। जयपुर प्र०: श्रावक अावश्यक सूत्र किसे कहते ही उ० जिसमे श्रावक-श्राविकाओ को सर्वप्रथम अवश्य जानने योग्य और नित्य दोनो सध्यायो, को अवश्य करने योग्य, तीर्थकरो द्वारा बताए हुए सामायिकादि छह आवश्यक गणधरो ने गुंथे हो, उसे 'आवश्यक सूच' कहते हैं। प्र० : आवश्यक सूत्र का प्रसिद्ध दूसरा नाम क्या है ? उ० प्रतिक्रमण सूत्र । प्र० आवश्यक सूत्र को प्रतिक्रमण सूत्र क्यो कहते हैं ? उ० . क्योकि आवश्यक सूत्र के छह आवश्यको में प्रतिक्रमण सूत्र अक्षर प्रमाण मे सबसे बड़ा है । प्र० : वर्तमान मे आवश्यक सूत्र से कितने प्रावश्यक लिए जाते हैं ? ' उ० वर्तमान में सामायिक सूत्र और प्रतिक्रमण सूत्रयों प्राय आवश्यक दो भागो मे बाँटा जाता है। सामायिक सूत्र मे १. सामायिक और २. चतुर्विशतिस्तव-ये दो आवश्यक दिये जाते हैं। शेष ३. बदना, ४. प्रतिक्रमण, ५. कायोत्सर्ग और ६. प्रत्याख्यान-ये चार आवश्यक प्रतिक्रमण सूत्र मे दिये जाते है। पहली पाठमाला के सूत्र-विभाग मे दो आवश्यक दिये जा चुके है, इसमे शेष चार आवश्यक दिये जायेंगे।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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